केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'मदर ऑफ इंडिया' और कांग्रेस नेता व केरल के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत के. करुणाकरण को 'साहसी प्रशासक' बताया है. भाजपा नेता ने करुणाकरण और मार्क्सवादी दिग्गज ईके नायनार को अपना 'राजनीतिक गुरु' बताया. गोपी पुन्कुन्नाम स्थित करुणाकरण के स्मारक 'मुरली मंदिरम' का दौरा करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
सुरेश गोपी ने के. करुणाकरण के बेटे और कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए त्रिशूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की है. त्रिशूर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में मुरलीधरन तीसरे स्थान पर रहे थे. उन्होंने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि वे करुणाकरण के स्मारक की उनकी यात्रा को राजनीति से न जोड़ें. भाजपा नेता ने कहा कि वह यहां अपने 'गुरु' के प्रति सम्मान व्यक्त करने आए हैं.
उन्होंने कहा कि नायनार और उनकी पत्नी सारदा टीचर की तरह के. करुणाकरण और उनकी पत्नी कल्याणीकुट्टी अम्मा के साथ भी उनके करीबी रिश्ते हैं. सुरेश गोपी ने 12 जून को कन्नूर में ईके नायनार के घर का दौरा किया था और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी. गोपी ने कहा कि वह इंदिरा गांधी को 'भारतथिंते मथावु' (भारत की मां) के रूप में देखते हैं और के. करुणाकरण को 'केरल में कांग्रेस पार्टी के जनक' मानते हैं.
उन्होंने यह भी स्पष्टीकरण दिया कि के. करुणाकरण को केरल में कांग्रेस का जनक बताकर वह इस दक्षिणी राज्य में पार्टी के संस्थापकों या सह-संस्थापकों का अनादर नहीं कर रहे. सुरेश गोपी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता की प्रशासनिक क्षमताओं की भी सराहना की और उन्हें अपनी पीढ़ी का 'साहसी प्रशासक' करार दिया. उन्होंने आगे कहा, 'मैं 2019 में भी मुरली मंदिरम जाना चाहता था. लेकिन के. करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल ने राजनीतिक कारणों से उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था. पद्मजा हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई हैं'.
सुरेश गोपी शहर के प्रसिद्ध लूर्डे माता चर्च भी गए और प्रार्थना की. गोपी और उनके परिवार ने अपनी बेटी की शादी के दौरान सेंट मैरी की मूर्ति के लिए स्वर्ण मुकुट भेंट किया था. गोपी के राजनीतिक विरोधियों ने उन पर निशाना साधने के लिए इसका इस्तेमाल किया, और आरोप लगाया कि यह मुकुट सोने से नहीं बल्कि तांबे से बना था. सुरेश गोपी ने त्रिशूर लोकसभा सीट जीतकर केरल में भाजपा का खाता खोला है. त्रिशूर में त्रिकोणीय मुकाबला देखा गया, जिसमें कांग्रेस, भाजपा और सीपीआई उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर थी.