छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश और राजस्थान की तर्ज पर बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में भी परिवर्तन यात्रा शुरू करने को योजना बनाई है. इस परिवर्तन यात्रा की शुरुआत 12 सितंबर को बस्तर के दंतेवाड़ा में होगी. इसके बाद 16 सितंबर को सरगुजा के जशपुर से भी यह यात्रा निकाली जाएगी. यात्रा का समापन बिलासपुर में 28 सितंबर को होगा.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस परिवर्तन यात्रा में भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व शामिल होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह के शामिल होने की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं. बीजेपी की पूरी कोशिश रहेगी कि बिलासपुर में परिवर्तन यात्रा के समापन पर पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ सकें. हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक तौर पर जानकारी पार्टी द्वारा नहीं दी गई है.
बीजेपी ने बस्तर और सरगुजा को यात्राओं के लिए क्यों चुना?
राजनीतिक विशेषज्ञ दिवाकर मुक्तिबोध की मानें तो 2018 विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन रहा है, पार्टी उसमें सुधार करने की कोशिश में लगी हुई है. परिवर्तन यात्राओं का फोकस 2023 की विधानसभा के साथ-साथ 2024 के संसदीय चुनाव पर भी है.
अगर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो 2018 में सरगुजा और बस्तर की सारी सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गई थीं. जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की छवि बदल गई बिल्कुल उसी तरह से परिवर्तन यात्रा से भी बीेजपी को फायदा हो सकता है. ऐसी यात्राओं से राजनीतिक दल को फायदा ही होता है, जिस तरह से पिछली बार बीजेपी का सफाया हुआ था, इस बार निश्चित है कि कुछ सीटें पार्टी के पल्ले में जरूर आएंगी. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि कितनी सीटें बीजेपी इन दोनों यात्राओं से ला पाती हैं.
वरिष्ठ पत्रकार अजय भान का कहना है कि सरगुजा और बस्तर इन दोनों समूहों की सांस्कृतिक महत्ता है क्योंकि दोनों आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं. पार्टी अपनी हर एक यात्रा की शुरुआत दंतेश्वरी माता के आशीर्वाद से ही शुरू करती है. दूसरा करण यह भी है कि पहले डॉक्टर रमन सिंह बीजेपी के इकलौते बड़े नेता थे और वह अपनी हर यात्रा की शुरुआत दंडेश्वरी माता के आशीर्वाद से ही करते थे. लेकिन अब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साहू को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती.
वहीं, डॉ. रमन सिंह का इतने लंबे समय से चल रहा वनवास खत्म होता नजर आ रहा है क्योंकि कई मौकों पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि भले ही बीजेपी डॉक्टर रमन सिंह के नेतृत्व में 2023 का चुनाव ना लड़े लेकिन उनको वही तवज्जो दी जाएगी जाएगी, जो पहले दी जाती थी. बीजेपी अपने नेतृत्व में यात्रा के दौरान एक समन्वय भी बनाने की कोशिश कर रही है. सरगुजा से इसकी शुरुआत इस वजह से हो रही है कि टीएस सिंह देव और मुख्यमंत्री के बीच अंतर का फायदा पार्टी को मिले.
अजय भान का ये भी कहना है कि बीजेपी ने 2018 में जहां सबसे खराब प्रदर्शन किया था, वहां पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. अगर वोट बैंक की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी 29 सीटों पर काफी फोकस रखे हुए नजर आ रही है और पारंपरिक रूप से 70 फीसदी आदिवासी वोट बैंक कांग्रेस के पास है और 30 फीसदी बीजेपी के पास है.