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कमजोर कड़ियों पर फोकस, नए चेहरों पर दांव... MP-छत्तीसगढ़ में चुनाव के ऐलान से पहले BJP ने क्यों जारी कर दी पहली लिस्ट?

मध्य प्रदेश के 39 उम्मीदवारों में से 5 और छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवारों में से 5 उम्मीदवार महिला हैं. खास बात ये है कि ये वैसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस ने बीजेपी को पिछले चुनाव में हराया था. उन सीटों पर बीजेपी ने अभी से तैयारी कर दी है.

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पीएम नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा (फाइल फोटो)
पीएम नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा (फाइल फोटो)

बीजेपी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इन दोनों राज्यों में अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा भी नहीं हुई है, लेकिन गुरुवार को बीजेपी ने एमपी में 39 और छत्तीसगढ़ में 21 उम्मीदवारो के नाम का ऐलान कर दिया है. बुधवार को ही दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी और अगले ही दिन बीजेपी ने पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. इस बार बीजेपी ने अपनी कमजोर कड़ियों पर फोकस करते हुए कई नए चेहरों पर पर दांव लगाया है.

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मध्य प्रदेश के 39 उम्मीदवारों में से 5 और छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवारों में से 5 उम्मीदवार महिला हैं. खास बात ये है कि ये वैसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस ने बीजेपी को पिछले चुनाव में हराया था. उन सीटों पर बीजेपी ने अभी से तैयारी कर दी है. बुधवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद इन सीटों का ऐलान किया गया है. इस बैठक में सीटों को चार श्रेणी- A,B,C,D कैटेगिरी में बांटा गया था. माना जा रहा है कि इसी आधार पर पहली लिस्ट में शामिल सीटों का ऐलान किया गया है.

चुनावी घोषणा से पहले इसलिए जारी हुई उम्मीदवारों की लिस्ट?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी ने पहली लिस्ट में उन सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जहां उम्मीदवारों को लेकर पार्टी के भीतर ज्यादा मतभेद नहीं थे. कारण, छत्तीसगढ़ की सभी 21 सीटों पर 2018 में भगवा पार्टी को हार मिली थी, यहां तक ​​कि 2013 में (जब पार्टी राज्य में सत्ता बरकरार रखी थी) इन 21 सीटों से 16 सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे ही मध्य प्रदेश में भी पार्टी ने 2018 में हारी हुई सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है. जिन 35 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है उनमें से कई सीटों पर पार्टी को 2013 में हार का सामना करना पड़ा था. इतनी जल्दी उम्मीदवारों की घोषणा से उम्मीदवारों को फायदा होगा, क्योंकि उनके पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय होगा.

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2018 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सभी सीटों पर मिली थी हार 

बता दें कि छत्तीसगढ़ में ज्यादातर सीटों पर जिला पंचायत के प्रतिनिधियों को मैदान में उतारा गया है. यानी पार्टी ने पुराने चेहरों की जगह नए चेहरों पर भरोसा जताया है. लिस्ट में चार उम्मीदवार साहू समुदाय से और दो कुर्मी समुदाय से हैं. ये दोनों समुदाय राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में प्रमुख हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इन 21 सीटों में से 19 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. वहीं दो सीटें मरवाही और खैरागढ़ जेसीसी (जे) के खाते में गई थीं. हालांकि, दोनों सीटों पर उपचुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कब्जा कर लिया. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन 21 सीटों पर बीजेपी बहुत मजबूत नहीं है, इसलिए उम्मीदवारों की घोषणा जल्दी कर दी गई, ताकि उम्मीदवारों को लोगों के बीच जाने और उनसे जुड़ने के लिए पर्याप्त समय मिल सके.

पाटन सीट पर रोचक होगा मुकाबला

छत्तीसगढ़ की पाटन विधानसभा सीट हमेशा से जिले में राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के इस इलाके में प्रारंभ से ही राजनीतिक चेतना रही है, जिसका असर चुनाव में देखने को मिलता रहा है. यही वजह है कि यहां के मतदाताओं ने हमेशा अपने विवेक से मतदान किया और परिणाम में हरबार उलट फेर होते रहे हैं. इस बार एक बार फिर इस सीट पर चाचा-भतीजे के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा. कारण, यहां से बीजेपी ने भूपेश बघेल के सामने उनके भतीजे और सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है. यह चौथी बार है जब विजय बघेल अपने चाचा भूपेश बघेल के खिलाफ मैदान में होंगे. विजय सबसे पहले 2003 में एनसीपी के टिकट पर पाटन सीट से भूपेश बघेल से सामने चुनाव लड़े थे. तब वह हार गए थे. 2008 में विजय बघेल ने भूपेश बघेल को 7500 वोटों से हराया था. वहीं इसके बाद चाचा-भतीजे 2013 में भी आमने-सामने थे, लेकिन भतीजे को हार का सामना करना पड़ा था.

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मध्य प्रदेश की 39 सीटों पर कई पुराने चेहरों पर भरोसा

बीजेपी ने जिन 39 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, उन पर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में भगवा पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं 2013 में भी बीजेपी को इन सीटों में से कुछ पर ही जीत मिली थी. इन सीटों पर बीजेपी की कमजोर पकड़ के चलते ही समय से पहले उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है. लिस्ट पर गौर करें तो एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कई सीटें पर बीजेपी ने 12 ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है, जो पिछले चुनावों में हार गए थे. इनमें तीन पूर्व मंत्री लालसिंह आर्य, ललित यादव और ओमप्रकाश धुर्वे शामिल हैं. 

सिंधिया के करीबी का कटा टिकट

बीजेपी द्वारा जारी लिस्ट में सिंधिया के करीबी का टिकट काट दिया गया है. दरअसल, 2020 में सिंधिया के कई करीबी नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इनमें अदल सिंह कंसाना और रणवीर सिंह जायव भी शामिल हैं. 2020 में हुए उपचुनाव दोनों नेताओं को बीजेपी से टिकट मिला था, लेकिन दोनों ही हार गए थे. अब पार्टी ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कंसाना अदल सिंह कंसाना को सुमावली से टिकट दिया है. वहीं रणवीर सिंह जाटव को टिकट नहीं मिला है. गोहद से पार्टी ने वर्तमान में अनुसूचित जाति जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को टिकट दिया है. 

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2018 में हारे इन 12 चेहरों को फिर मिला टिकट

गोहद: लाल सिंह आर्य 
छतरपुर: ललिता यादव 
चित्रकूट: सुरेंद्र सिंह गहरवार
सौंसर: नाना भाऊ मोहोड़ 
पथरिया: लखन पटेल 
सुमावली: एंदल सिंह कंसाना 
राऊ: मधु वर्मा 
पेटलावद: निर्मला भूरिया 
शाहपुरा: ओमप्रकाश धुर्वे 
कसरावद: आत्माराम पटेल 
गुन्नौर: राजेश वर्मा 
महेश्वर: राजकुमार मेव

ध्रुव नारायण सिंह को फिर मिला टिकट

बता दें कि बीजेपी ने जिन 39 उम्मीदवारों के नाम की पहली लिस्ट जारी की है, उनमें से एक भोपाल मध्य सीट से ध्रुव नारायण सिंह भी हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे ध्रुव नारायण सिंह 2008 से 2013 तक भोपाल मध्य सीट से विधायक थे. मर्डर केस में नाम आने के चलते पार्टी ने  2013 में उनका टिकट काट दिया था. उनका नाम आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या में आया था. 16 अगस्त, 2011 में शेहला की उनके घर के गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सीबीआई जांच में ये बात सामने आई थी कि ध्रुव नारायण के कारण ये हत्या की गई. आरोप लगा था कि हत्या कराने वाली जाहिदा का ध्रुव के साथ संबंध था और उसे लगता था कि वह शेहला की वजह से उससे दूर हो रहे हैं. हालांकि सीबीआई ने कभी भी आरोप पत्र में ध्रुव का नाम नहीं लिया था.

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दिग्विजय सिंह के भाई के सामने IRS ऑफिसर की पत्नी को टिकट

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह की चांचोडा विधानसभा सीट से प्रियंका मीणा को टिकट दिया है. प्रियंका मीणा के पति IRS ऑफिसर हैं और दिल्ली में पोस्टेड हैं. प्रियंका मीना ने हाल ही में 27 फरवरी 2023 को बीजेपी का दामन थामा था. बीजेपी ने प्रियंका के चेहरे को तवज्जो देते हुए कांग्रेस को हैरानी में डाल दिया है. पार्टी नया चेहरा उतारकर प्रयोग कर रही है. प्रियंका के पति प्रद्युमन सिंह मीना IRS अधिकारी हैं, जो वर्तमान में दिल्ली में पदस्थ हैं. ममता मीणा एक बार बीजेपी की एमएलए रह चुकी हैं, जिन्हें 2018 में दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने विधानसभा चुनाव हराया था. 

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