scorecardresearch
 

करुणानिधि की स्मारक पर बनाई मंदिर की रेप्लिका, चौतरफा घिरी DMK सरकार

नारायणन तिरुपति ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मैं डीएमके की कड़ी निंदा करता हूं कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के समाधि स्थल पर मंदिर गोपुरम की प्रतिकृति बनाई है. यह अहंकार और मूर्खता की पराकाष्ठा है. किसी समाधि स्थल पर मंदिर गोपुरम की तस्वीर कैसे लगाई जा सकती है?

Advertisement
X
चेन्नई में कलैगनार स्मारक के पर मंदिर की प्रतिकृति से राजनीतिक विवाद उठ खड़ा हुआ है
चेन्नई में कलैगनार स्मारक के पर मंदिर की प्रतिकृति से राजनीतिक विवाद उठ खड़ा हुआ है

चेन्नई के मरीना बीच पर एम. करुणानिधि स्मारक पर श्रीविल्लिपुत्तूर मंदिर के गोपुरम की प्रतिकृति ने तमिलनाडु में राजनीतिक हलचल मचा दी है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पर हिंदू भावनाओं का अपमान करने का आरोप लगाया है. यह विवाद तब शुरू हुआ जब तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने सोशल मीडिया पर स्मारक की तस्वीर शेयर की, जिसमें श्रीविल्लिपुत्तूर मंदिर के गोपुरम की प्रतिकृति दिखाई दे रही थी. इस तस्वीर के साथ, उन्होंने डीएमके की कड़ी निंदा की और इस प्रतिकृति को तुरंत हटाने की मांग की.

नारायणन तिरुपति ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मैं डीएमके की कड़ी निंदा करता हूं कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के समाधि स्थल पर मंदिर गोपुरम की प्रतिकृति बनाई है. यह अहंकार और मूर्खता की पराकाष्ठा है. किसी समाधि स्थल पर मंदिर गोपुरम की तस्वीर कैसे लगाई जा सकती है? यह हिंदुओं की आस्था और विश्वास पर हमला है.” उन्होंने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से इसे तुरंत हटाने की मांग की और चेतावनी दी, “हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की डीएमके को भविष्य में कीमत चुकानी पड़ेगी.”

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने भी इस मुद्दे पर डीएमके की आलोचना की. उन्होंने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ विभाग (एचआरएंडसीई) के मंत्री पी.के. सेकर बाबू पर मुख्यमंत्री के परिवार को प्रभावित करने के लिए हद से ज्यादा सक्रिय होने का आरोप लगाया. अन्नामलाई ने कहा, “डीएमके, जो दावा करता है कि उसे भगवान में विश्वास नहीं है, लंबे समय से हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाकर अपनी आजीविका चला रहा है. अगर वह नास्तिकता के नाम पर हिंदू धार्मिक विश्वासों का अपमान करता रहेगा, तो लोग उसे सबक सिखाएंगे.”

Advertisement

तमिलनाडु भाजपा प्रमुख नैनार नागेंद्रन ने भी इस सजावट को “हिंदू पवित्रता पर हमला” करार देते हुए इसकी निंदा की और मंत्री सेकर बाबू से माफी की मांग की. उन्होंने कहा यह जान बूझकर उकसाने की कोशिश है. ” नागेंद्रन ने स्टालिन से गोपुरम को स्मारक से तुरंत हटाने की मांग की है. 

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एचआरएंडसीई मंत्री सेकर बाबू ने तमिलनाडु विधानसभा सत्र से पहले स्मारक का दौरा किया, जहां विभाग के बजट पर चर्चा होनी थी. इस दौरे के संबंध में स्मारक को श्रीविल्लिपुत्तूर गोपुरम की प्रतिकृति सहित अन्य सजावटों से सजाया गया था. डीएमके ने इस गोपुरम की छवि का बचाव करते हुए कहा कि यह 1949 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमांदूर रामासामी रेड्डी के कार्यकाल के दौरान अपनाए गए एक आधिकारिक प्रतीक का हिस्सा है. डीएमके ने बताया कि श्रीविल्लिपुत्तूर गोपुरम तमिलनाडु के राज्य प्रतीक चिह्न का अभिन्न हिस्सा है, जिसे मदुरै के मूल निवासी, कलाकार आर. कृष्ण राव ने डिजाइन किया था. इस प्रतीक में अशोक का सिंह स्तंभ है, जिसके दोनों ओर भारतीय झंडे हैं, और इसके पीछे श्रीविल्लिपुत्तूर मंदिर का गोपुरम उभरता है. 

किंवदंती के अनुसार, इस हिंदू मंदिर संरचना, गोपुरम को तमिल संस्कृति और स्थापत्य विरासत का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतीक में शामिल किया गया था. डीएमके का तर्क है कि स्मारक की सजावट धार्मिक बयान देने के लिए नहीं, बल्कि तमिलनाडु के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में करुणानिधि के कद को सम्मान देने के लिए थी.

Advertisement

यह पहली बार नहीं है जब करुणानिधि स्मारक विवाद का केंद्र बना है. अप्रैल 2023 में, एचआरएंडसीई विभाग द्वारा बनाई गई एक समान गोपुरम प्रतिकृति ने हिंदू समूहों और भाजपा नेताओं की आलोचना को आमंत्रित किया था. उन्होंने डीएमके पर पाखंड का आरोप लगाया था, और उन उदाहरणों का हवाला दिया जहां डीएमके नेताओं ने समाधि पर भजन किए या दही वड़ा चढ़ाया—ये प्रथाएं पार्टी की तर्कवादी विचारधारा के साथ असंगत मानी जाती हैं.

उस समय, भाजपा के राज्य सचिव एस.जी. सूर्या ने पोस्ट किया था, “धर्मार्थ विभाग से अनुदान प्राप्त करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अमर करुणानिधि की समाधि पर मंदिर गोपुरम रखना एक निंदनीय कृत्य है. हिंदू जो मंदिर गोपुरम की पूजा करते हैं, उसे समाधि पर नहीं होना चाहिए.”

डीएमके के समर्थकों का तर्क है कि स्मारक की सजावट का उद्देश्य करुणानिधि के तमिलनाडु के राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास में योगदान को सम्मान देना था, न कि धार्मिक बयान देना. तमिलनाडु कांग्रेस प्रमुख के. सेल्वापेरुथुगई ने भाजपा के इरादों पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “यह संपत्ति सरकार की है और सरकार द्वारा बनाई गई है. इसमें सरकार के प्रतीक चिन्ह को रखने में क्या गलत है?”

सेल्वापेरुथुगई ने आगे कहा, “स्मारक एक मंदिर की तरह है. करुणानिधि उनके कल्याणकारी योजनाओं के कारण हमारे लिए भगवान की तरह हैं.”

Advertisement

यह विवाद तमिलनाडु में डीएमके और भाजपा के बीच चल रहे राजनीतिक तनाव को और उजागर करता है. भाजपा जहां इस मुद्दे को हिंदू भावनाओं के अपमान के रूप में पेश कर रही है, वहीं डीएमके इसे तमिल संस्कृति और राज्य के प्रतीक के सम्मान के रूप में प्रस्तुत कर रही है. यह घटना दोनों दलों के बीच वैचारिक मतभेदों को और गहरा सकती है, खासकर जब बात धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों की व्याख्या की आती है.

करुणानिधि स्मारक पर श्रीविल्लिपुत्तूर मंदिर के गोपुरम की प्रतिकृति ने तमिलनाडु की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. यहां भाजपा इसे हिंदू आस्था पर हमला बता रही है, वहीं डीएमके इसे तमिल संस्कृति और राज्य के प्रतीक चिह्न का सम्मान बता रही है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement