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BJP-TDP में गठबंधन की चर्चा खटाई में क्यों पड़ी? कहां अटक रही है बात

आंध्र प्रदेश में बीजेपी न तो खुलकर वाईएसआर कांग्रेस का विरोध कर रही है और ना ही समर्थन. ऐसे में टीडीपी गठबंधन को लेकर दुविधा बनी हुई है. कुछ दिनों पहले चंद्रबाबू नायडू ने अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. उसके बाद दोनों दलों में गठबंधन की चर्चा शुरू हुई थी.

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जेपी नड्डा और चंद्रबाबू नायडू (फाइल फोटो)
जेपी नड्डा और चंद्रबाबू नायडू (फाइल फोटो)

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के फिर साथ आने की सुगबुगाहट तेज हो गई थी. लेकिन अब खबर है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की चर्चा खटाई में पड़ गई है. 

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आंध्र प्रदेश में बीजेपी न तो खुलकर वाईएसआर कांग्रेस का विरोध कर रही है और ना ही समर्थन. ऐसे में टीडीपी गठबंधन को लेकर दुविधा बनी हुई है. कुछ दिनों पहले चंद्रबाबू नायडू ने अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. उसके बाद दोनों दलों में गठबंधन की चर्चा शुरू हुई थी.

गृहमंत्री अमित शाह ने आंध्र प्रदेश के दौरे के दौरान विशाखापट्टनम में वाईएसआर कांग्रेस सरकार को सबसे भ्रष्ट सरकार बताया था लेकिन उसके अगले दिन ही नड्डा ने भी तिरुपति में राज्य सरकार पर हमला बोला था. केंद्र सरकार ने राज्य को 10,000 करोड़ का पैकेज दिया था लेकिन इसका श्रेय नहीं लिया.

खबर है कि बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री से मिल भी रहे हैं. इन विरोधाभासी कदमों के चलते टीडीपी गठबंधन को लेकर अधिक आश्वस्त नहीं है. मंगलवार को ही बीजेपी ने एमटी रामाराव की बेटी डी पुरंदेश्वरी को आंध्र बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था जबकि चंद्रबाबू जो उनके रिश्तेदार हैं, उनके साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है.

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दूसरी तरफ तेलंगाना में केसीआर के सबसे मुखर विरोधी बंडी संजय को हटा दिया गया है, जो टीडीपी से गठबंधन के सबसे प्रबल समर्थक माने जाते थे. जबकि जी किशन रेड्डी ने 2014 में पार्टी के भीतर टीडीपी से गठबंधन का विरोध किया था.

गठबंधन की चर्चा से नाखुश थी जनसेना पार्टी

बीजेपी का आंध्र प्रदेश में अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना पार्टी से गठबंधन है. पवन कल्याण की जन सेना पार्टी को 2019 के विधानसभा चुनाव में 5.53 प्रतिशत वोट शेयर के साथ केवल एक सीट पर जीत मिली थी. सूत्रों की मानें तो आंध्र प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी जन सेना पार्टी, टीडीपी के साथ गठबंधन की चर्चा से खुश नहीं है. दूसरी तरफ, बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि टीडीपी से गठबंधन से तेलंगाना के चुनाव में पार्टी को फायदा मिल सकता है.

2018 में दो सीटों पर सिमट गई थी टीडीपी

टीडीपी का अविभाजित आंध्र प्रदेश में टीडीपी का उन हिस्सों में भी अच्छा जनाधार था जो अब तेलंगाना में हैं. हालांकि, टीडीपी को 2018 के विधानसभा चुनाव में केवल दो सीटों पर ही जीत मिल सकी थी. टीडीपी को तेलंगाना राज्य गठन का विरोध करना भारी पड़ गया था और पार्टी का वोट शेयर पांच फीसदी से भी नीचे, महज 3.5 फीसदी रहा था. बीजेपी की नजर तेलंगाना में टीडीपी के पुराने जनाधार पर है और पार्टी को लगता है कि विधानसभा चुनाव में बीआरएस को मात देकर सरकार बनानी है तो इसमें टीडीपी का संगठन और वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

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पिछले चुनाव में बीजेपी को मिली थी एक सीट

तेलंगाना के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. बीजेपी को 7.1 फीसदी वोट शेयर के साथ महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में सुधार हुआ और पार्टी ने सूबे की कुल 17 में से चार सीटों पर जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 23.53 फीसदी वोट मिले और वोट शेयर के लिहाज से कांग्रेस को पीछे छोड़कर दूसरे पायदान पर पहुंच गई.

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की अटकलें

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के बीच गठबंधन की भी अटकलें हैं लेकिन अभी तक औपचारिक बातचीत नहीं हुई हैं. लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसकी जल्द ही घोषणा हो सकती है. अकाली दल ने कल कोर कमेटी और जिला प्रभारियों की बैठक बुलाई है. 

अकाली दल के सूत्रों की माने तो बैठक में  बीजेपी से गठबंधन पर भी चर्चा हो सकती है. कहा जा रहा है कि दो हफ्ते पहले सुखबीर सिंह बादल की बीजेपी आलाकमान के नेताओ  से फोन पर बात हुई थी. बीजेपी को लगता है कि अकाली दल को साथ लिए बिना पंजाब में कांग्रेस और आप से पार नहीं पाया जा सकता है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी से गठबंधन किया था लेकिन उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आए थे.

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