एक तरफ देश कोरोना वायरस की खतरनाक लहर से जूझ रहा है और दूसरी तरफ देश भर में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद कई मरीजों में म्युकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नाम की बीमारी देखी जा रही है. यह बीमारी संक्रमितों की आंखों की रोशनी छीन रही है. इसमें आंखों के साथ त्चचा, नाक और चेहरे के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचता है. नाक में सूखी पपड़ी जम जाना, आंखों में जलन, दांतों के ऊपर सूजन, त्वचा में लालपन, आंखों में सूजन व दर्द, आंख व नाक के नीचे लाल-काले धब्बे आदि इसके लक्षण हैं. यह नाक के जरिए फेफड़ों और मस्तिष्क में पहुंचकर लोगों की जान भी ले रहा है. ब्लैक फंगस के कुछ मरीजों को आईसीयू में भी भर्ती करना पड़ रहा है.
इस वक्त गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीज ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे हैं. इसमें मरीज की आंख की रोशनी जा सकती है. जबड़े और नाक की हड्डी गल सकती है. समय पर उपचार नहीं होने पर जान भी जा सकती है. हालांकि, समय पर इलाज किया जाए तो मरीज ठीक हो सकता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किसी को नाक में जलन, त्वचा में लालपन, आंखों में सूजन व दर्द, आंख व नाक के नीचे लाल-काले धब्बे, बुखार, खांसी, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द की तकलीफ हो तो चिकित्सक से सलाह लें. अगर समय पर उपचार शुरू नहीं किया गया तो यह दिमाग तक जाता है. ब्लैक फंगस बीमारी में डॉक्टरों की टीम उपचार करती है, जिसमें आंख, नाक, गले के डॉक्टर होते हैं.
प्रयागराज में ब्लैक फंगस की दस्तक
प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में एक मरीज में ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने के बाद प्रशासन अलर्ट हो गया है. कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की जांच करवाई जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक शुगर और कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा है. ये बहुत जल्दी फैलता है जिससे तमाम दिक्कतें आने लगती हैं. इससे आंख की रोशनी जा सकती है या फिर नाक, आंख, फेफड़े भी खराब हो सकते हैं. एसआरएन अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुब्रमण्यम के मुताबिक अस्पताल में एक मरीज में ये लक्षण मिला है जिसका इलाज किया जा रहा है.
वाराणसी में एक मरीज का आधा चेहरा हटाना पड़ा
यूपी के कई शहरों में ब्लैक फंगस ने लोगों को चपेट में ले लिया है तो इससे वाराणसी भी अछूता नहीं है. यहां अभी तक इस बीमारी के दर्जनों केस आ चुके हैं. इनमें से तीन मरीज का बीएचयू आईएमएस के ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने सफल आपरेशन भी कर डाला है. इन तीन आपरेशन में से एक कोरोना मरीज का भी ब्लैक फंगस का ऑपरेशन हुआ है. इस वीभत्स बीमारी के ऑपरेशन में मरीज का आधा चेहरा तक हटाना पड़ा, वरना मरीज की मौत हो सकती थी.
बीएचयू में इस ऑपरेशन को लीड करने वाले डॉ. सुशील कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस के केस काफी देखे जा रहे हैं. इस तरह की बीमारी पहले भी देखी जाती थी. इसके पहले साल में 4 से 5 केस आते थे, लेकिन अब लग रहा है कि इसमें कोरोना का भी कुछ हाथ है. आम तौर पर फंगस शरीर में या हवा में पहले से मौजूद रहते हैं. लेकिन सामान्य इंसान में ये अपना असर नहीं दिखा पाते, क्योंकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इसको बढ़ने नहीं देती. कोरोना से लोगों की इम्युनिटी कम हो रही है, जिसकी वजह से यह इतना ज्यादा असर दिखा रहा है.
डॉ अग्रवाल ने बताया कि बनारस में अब तक 20 से 25 ब्लैक फंगस के केस सामने आ चुके हैं. जिसमें से सात से आठ का ट्रीटमेंट बीएचयू में चल रहा है और उनमें से 3 मरीज इमरजेंसी में हैं. इनमें से तीन का ऑपरेशन किया जा चुका है और 2 मरीजों को अभी एंटीफंगल दवाइयां दी जा रही हैं. डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इसका इलाज संभव है.
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झांसी में पाए गए ब्लैक फंगस के तीन मरीज, एक की मौत
कई बड़े शहरों के बाद ब्लैक फंगस की एंट्री अब झांसी में भी हो गई है. झांसी में इसके तीन मरीज पाए गए थे जिसमें से दो झांसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं और एक मरीज की मौत हो गई. कोरोना से ठीक हुए कुछ मरीजों में इसके लक्षण पाये गए हैं जिसके बाद इसकी जांच के लिए उनकी एमआरआई कराई गई, जिससे संक्रमण की पुष्टि हुई. किसी नान-कोविड मरीज में अभी तक इसके लक्षण नहीं देखे गए हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी का इलाज मौजूद है इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. जिन मरीजों में इसके लक्षण देखे गए हैं उनका इलाज शुरू कर दिया है. चिकित्सकों का कहना है कि यह फंगस इम्युनिटी सही होने पर कोई कोई प्रभाव नहीं डालता है.
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ में कहा कि ब्लैक फंगस के रूप में पोस्ट कोविड का एक रूप देखने में आ रहा है. उसकी ट्रेनिंग और उपचार की प्रॉपर व्यवस्था लखनऊ से प्रारंभ कर दी गई है और एक-दो दिन के अंदर हर एक जनपद में इसके बारे में कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा.
मध्य प्रदेश में 50 मामले सामने आए
मध्य प्रदेश में कोरोना के कहर के बीच अब ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ रहा है. प्रदेश में 12 मई तक ब्लैक फंगस के 50 मामले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद सरकार सतर्क हो गई है. बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि 'ब्लैक फंगस के संक्रमण की घटनाएं सामने आ रही हैं जो बहुत भयानक है. अभी तक प्रदेश में 50 रोगियों की पुष्टि हुई है. प्रोटोकॉल के अनुसार इसका उपचार सुनिश्चित किया जा रहा है. राज्य शासन ऐसे पेशेंट को भरपूर सहयोग करेगा. जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, उनके नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेंगे.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बुधवार को अमेरिकी विशेषज्ञों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए बात की और इसके लक्षणों के साथ-साथ कैसे ब्लैक फंगस बीमारी से निपटा जाए इसपर सुझाव मांगे. बैठक के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि 'इस वर्चुअल बैठक में अमेरिका के डॉक्टर डॉ मनोज जैन भी जुड़े थे. इसमे तय किया गया है कि प्रदेश में म्यूकरमाइकोसिस यूनिट खोली जाएगी जहां ब्लैक फंगस के शिकार लोगों का उपचार होगा. शुरुआत में भोपाल और जबलपुर में 10-10 बेड की यूनिट शुरू की जाएगी'.
उज्जैन में ब्लैक फंगस के 4 संदिग्ध मरीज
ब्लैक फंगस के संक्रमण ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में दस्तक दी है. कलेक्टर आशीष सिंह ने इस बात की पुष्टि की है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी 3 से 4 मरीज मिले हैं लेकिन ये संदिग्ध हैं. इनका उपचार जारी है. जरूरी दवाइयों, इंजेक्शन आदि की आपूर्ति की जा रही है. मध्य प्रदेश में उज्जैन के पहले भोपाल, इंदौर, जबलपुर व शाजापुर में ये बीमारी सामने आ चुकी है.
डॉ एसके जैथलिया ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार जारी है. ऐसे मरीजों का उपचार डॉक्टरों की एक टीम करती है जिसमें आंख, नाक, गले के विशेषज्ञ होते हैं. पहले मरीज का स्वैब लिया जाता है, सीटी स्कैन और एमआरआई होता है, तब जाकर बीमारी का पता चल पाता है. समय पर इलाज मिलने से ये बीमारी ठीक तो सकती है लेकिन उपचार के बाद भी मरीज का बहुत ध्यान रखना होता है.
सिंगरौली में भी एक मामला
सिंगरौली जिले की रहने वाली 62 वर्षीय महिला 2 मई को कोविड के चलते अस्पताल में भर्ती हुई और नेगेटिव होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया. इस बीच उन्हें आंख की समस्या आई तो उन्होंने फिर से डॉक्टरों से संपर्क किया. अब 12 मई को हुई जांच के बाद चिकित्सकों ने पाया कि उनकी आंख में कोई एक्टिविटी नहीं हो रही है. आनन-फानन में चिकित्सकों ने महिला को जबलपुर या बनारस के लिए रेफर कर दिया है. फिलहाल महिला बनारस में अपना इलाज करवा रही है. महिला का इलाज कर रहे डॉक्टरों का मानना है कि सिंगरौली में सिर्फ एक महिला नहीं बल्कि कई लोगों ने आंखों से संबंधित बीमारी की शिकायत की है. अब सभी को इलाज के लिए बुलाया गया है.
सतना में मिले ब्लैक फंगस के 2 संदिग्ध मरीज
मप्र के सतना जिले में में ब्लैक फंगस के दो संदिग्ध मरीज मिलने की खबर है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे दोनों मरीजों को मेडिकल ऑफिसर डॉ मयंक तिवारी ने रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर किया है. दोनों मरीज कोरोना संक्रमित रह चुके हैं और डायबिटिक भी हैं. इन मरीजों ने आंख में परेशानी की शिकायत की थी. डॉक्टर को यह ब्लैक फंगस के लक्षण लगे तो उन्होंने इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी. इसके बाद युवक को रीवा जाने की सलाह दी गई. इन दोनों मरीजों में ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से इंजेक्शन के रूप में स्टेरॉयड के हैवी डोज दिए गए थे. दोनों ही डायबिटीज के रोगी हैं.
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छत्तीसगढ़ में करीब डेढ़ दर्जन मरीज, एक की मौत
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से पीड़ित 15 मरीजों का रायपुर के एम्स में उपचार चल रहा है. वहीं दुर्ग जिले के भिलाई के रहने वाले एक व्यक्ति की ब्लैक फंगस से मौत हो गई. छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से यह पहली मौत है. भिलाई के वी श्रीनिवास राव (48 वर्ष) को ब्लैक फंगस की शिकायत के बाद रायपुर के एक निजी अस्पताल में दाखिल किया गया था. शुरू में आंख में दर्द था, इसके बाद उनको कुछ नजर आना बंद हो गया. वहां करीब चार दिनों तक इलाज चला फिर उन्हें भिलाई इस्पात संयंत्र के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में शिफ्ट किया गया. यहां 6 दिनों तक डॉक्टरों ने तमाम कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सक.
इसे लेकर दुर्ग जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. इस बीमारी के पैर पसारने के साथ ही दुर्ग में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है.
गुरुग्राम में ब्लैक फंगस से हड़कंप
साइबर सिटी गुरुग्राम के निजी असपतालो में भी ब्लैक फंगस के 2-3 संदिग्ध मामले आए हैं जिसके बाद हड़कंप की स्थिति हो गई. जिले के चीफ मेडिकल अधिकारी ने कहा है कि ब्लैक फंगस मामलों को लेकर निजी अस्पतालों में निगरानी रखने के निर्देश जारी किए गए हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग इसे लेकर सतर्क हो गया है. सीएमओ गुरुग्राम वीरेंद्र सिंह की मानें तो मामले अभी संदिग्ध हैं और इनकी जांच कराई जा रही है.
फतेहाबाद में महिला को ब्लैक फंगस
हरियाणा के फतेहाबाद स्वास्थ्य विभाग के एसएमओ डॉ राजेश चौधरी ने बताया कि एक महिला को ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है. उसको इलाज के लिए पीजीआई रेफर किया गया है. इलाज के दौरान जिन लोगों के द्वारा ज्यादा स्टेरायड का प्रयोग किया जाता है उनमें यह बीमारी नजर आती है. डॉक्टर ने बताया कि महिला के चेहरे पर काले रंग के घेरे दिखने लगे थे. डॉक्टरों ने जांच की तो ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई.
बिहार में भी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना के साथ ये एक नए प्रकार की बीमारी का पता लगा है. कोरोना के मरीजों में इसके कुछ लक्षण देखने को मिले हैं. विशेषज्ञ इस पर नजर बनाए हुए हैं. उसका ट्रीटमेंट प्रोटोकाल क्या होगा उस पर भी चर्चा की जाएगी.
झारखंड से हमारे संवाददाता सत्यजीत कुमार ने बताया कि कोरोना के नए वैरिएंट ब्लैक फंगस ने झारखंड में भी दस्तक दी है. यहां के स्थानीय मेडिका अस्पताल में 7 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं.
(प्रयागराज से पंकज श्रीवास्तव, वाराणसी से रोशन जायसवाल, झांसी से अमित श्रीवास्तव, भोपाल से रवीश पाल सिंह, उज्जैन से संदीप कुलश्रेष्ठ, सतना से योगितारा, सिंगरौली से हरिओम सिंह, जबलपुर से धीरज शाह, गुरुग्राम से नीरज वशिष्ठ, फतेहाबाद से जितेंद्र मोंगा और दुर्ग से रघुनंदन पांडा के इनपुट के साथ)