देश में एक तरफ कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ ब्लैक फंगस नाम की बीमारी तेजी से पैर पसार रही है. इस बीमारी का शिकार वैसे तो कोई भी हो सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा मामले कोरोना मरीजों में ही देखने को मिल रहे हैं. कई लोग कोरोना पर तो जीत दर्ज कर रहे हैं, लेकिन फिर ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे हैं.
अब डॉक्टरों का मानना है कि जिन कोरोना मरीजों को जरूरत से ज्यादा स्टेरॉयड दी गई है, उनमें ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है.
स्टेरॉयड और ब्लैक फंगस का क्या कनेक्शन?
LNJP अस्पताल के एमडी डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा है कि स्टेरॉयड का इस्तेमाल कम होना चाहिए. अगर मरीज का ऑक्सीजन लेवल 90 के करीब है और आप उसे काफी स्टेरॉयड दे रहे हैं, तो इसका एक साइड इफेक्ट ब्लैक फंगस भी हो सकता है. इस बीमारी का जल्दी पकड़ में आना बहुत जरूरी है. सीटी स्कैन के जरिए इस इन्फेक्शन का पता लगाया जा सकता है. अभी के लिए Amphotericin नाम का ड्रग ट्रीटमेंट में इस्तेमाल किया जा रहा है.
कोविड से बड़ा खतरा ब्लैक फंगस?
डॉक्टर की तरफ से जोर देकर कहा गया है कि स्टेरॉयड का ज्यादा डोज देना, बिना वजह उनका सेवन करना भी कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस का कारण बन रहा है. डॉ. सुरेश कुमार की मानें तो उनके अस्पताल में भी चार मरीज भर्ती हैं जो डायबिटिक हैं. उन्होंने कहा है कि अब अस्पताल में कोविड से जान ना भी जाए लेकिन ब्लैक फंगस से जान जाने का खतरा बना हुआ है.
बताया गया है कि अब LNJP अस्पताल में मरीजों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है. जहां पहले 100 से ज्यादा मरीज आया करते थे, अब संख्या खटकर 50 की हो गई है. वहीं अस्पताल में बेड की संख्या भी 1,500 से बढ़ाकर 1,700 कर दी गई है. अभी अस्पताल में 990 बेड खाली हैं. अस्पताल के एमडी के मुताबिक स्थिति सुधर रही है, लेकिन अभी लापरवाही नहीं की जा सकती है.
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दिल्ली में कोरोना मामले हुए कम
वैसे दिल्ली में कोरोना की स्पीड सुस्त पड़ती दिख रही है. लगातार कई दिनों से मामले भी कम आ रहे हैं, संक्रमण दर में भी गिरावट दर्ज की जा रही है. पिछले 24 घंटे में राज्य में कोरोना के 6,500 नए मामले सामने आए हैं, वहीं 337 लोगों ने अपनी जान गंवाई. राजधानी में मामले तो कम होते दिख रहे हैं, लेकिन मौत का ग्राफ अभी भी चिंता में डाल रहा है. ऐसे में सरकार का भी अब पूरा जोर मौतों को कम करने पर है. (रिपोर्ट-ANI)