ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पाया गया है. कोरोना का नया स्ट्रेन पहले वायरस की अपेक्षा काफी तेजी से फैलने की क्षमता वाला है. इसी वजह से सभी देश सतर्क हो गए हैं. भारत समेत कई देशों ने ब्रिटेन से आने-जाने वाली उड़ानों को कुछ दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है. इस बीच इस वायरस को लेकर एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने आजतक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कोरोना वैक्सीन को लेकर तमाम बातों पर विस्तार से चर्चा की.
कोरोना के नए म्युटेशन के बाद वैक्सीन की क्षमता से जुड़े सवाल पर एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने कहा कि हमेशा जब कोई म्युटेशन आता है तो यही चिंता रहती है कि इससे वैक्सीन की क्षमता पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा. अभी तक जो यूके के नए स्ट्रेन का जो डेटा सामने आया है उससे लगता है कि जो ये वेरिएशन आया है इसका कुछ हद तक असर है, लेकिन इसका कोई ज्यादा असर वैक्सीन पर नहीं पड़ने वाला है. अभी हमें देखना पड़ेगा कि यूके में जो वैक्सीन प्रोग्राम चल रहा है उस वैक्सीन प्रोग्राम के साथ इस वेरिएंट का कैसा तालमेल बैठता है. उसमें एंटीबॉडीज अच्छी तादाद में बनती हैं या नहीं. उस वैक्सीन से इस नए वेरिएंट से प्रोटेक्शन मिलता है या नहीं. अगर वो रहता है तो हम ये कह सकते हैं कि वैक्सीन अभी तक कामयाब रहेंगी. अगले कुछ दिनों में ये डेटा भी आना चाहिए जिससे वैक्सीन की क्षमता का पता चलेगा.
भारत में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में दो वैक्सीन हमारे अपने ट्रायल में हैं. जो सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन है वो फेज थ्री की ट्रायल में हैं और उनके ट्रायल कुछ हद तक अंतिम चरण में हैं. अपना डेटा वो एक बार रेग्युलेटरी अथॉरिटी को दे चुके हैं. लेकिन अभी उन्हें और डेटा देना पड़ेगा क्योंकि अभी ट्रायल का फॉलोअप डेटा नहीं आया है. जब भी हम किसी वैक्सीन को देखते हैं तो सबसे पहले हम देखते हैं कि ये वैक्सीन सेफ है या नहीं. तभी हम कहते हैं कि ये वैक्सीन सबमें लगाई जाए. जो भी रेग्युलेटरी अथॉरिटी में विशेषज्ञ बैठते हैं वो पूरा डेटा बड़े ध्यान से देखते हैं और जब तक वो कंवींस नहीं होते तब तक वो वैक्सीन को लाइसेंसिंग के लिए अनुमति नहीं देते हैं.
डॉक्टर गुलेरिया ने आगे कहा कि दूसरा वो देखते हैं कि वैक्सीन का प्रभाव कैसा है. तो अभी जो वैक्सीन ट्रायल में चल रही है जब उनका डेटा आ जाए और यूके का जो डेटा एस्ट्रोजेनिका का है वो आ जाएगा और सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन है वो एक ही वैक्सीन है तो हमें ये कांफिडेंस आ जाएगा कि ये वैक्सीन सेफ है. मुझे लगता है कि इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन का अप्रुवल आ जाएगा, तब तक हमारी तैयारी भी पूरी हो जाएगी. जब ये दोनों चीजें हो जाएंगी तो अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन लगना शुरू हो जाएगी.
ब्रिटेन के डेटा का है इंतजार: रणदीप गुलेरिया
नया स्ट्रेन भारत के लिए कोई खतरा तो नहीं, इस सवाल के जवाब में डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि इसके लिए हमें डेटा चाहिए होगा कि ये म्युटेशन किस टाइप का है. अगर ये लगता है कि ये वैक्सीन पर प्रभाव डाल रहा है तो हम अपने वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग को चेंज कर सकते हैं ताकि हम इस म्युटेशन को काउंटर कर पाएं. लेकिन इसके लिए हमें पहले डेटा चाहिए होगा कि इस म्युटेशन पर वैक्सीन का कैसा असर पड़ता है. हमें कुछ दिन इंतजार करना होगा ताकि ब्रिटेन से इसका डेटा मिल सके. तभी हम कुछ कह सकेंगे.
देखें: आजतक LIVE TV
नए स्ट्रेन के लक्षण के सवाल पर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि अभी तक जो केस आए हैं उनमें कोविड वाले ही लक्षण हैं. ये कोविड वायरस ही है. उसने खुद को म्युटेट कर लिया है और उस वायरस में म्युटेशन हम पिछले कई सालों में देख रहे हैं. हर महीने ये वायरस एक या दो बार म्युटेट करता ही है. इस बार ब्रिटेन ने कहा है कि ये म्युटेशन तेजी से फैल रहा है इसलिए चर्चा ज्यादा हो गई है.
कोरोना टेस्ट को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कोरोना टेस्ट पहले जैसे ही होंगे, आरटी-पीसीआर से ही पता चलेगा कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं. लेकिन ये पता करने के लिए ये नया वेरिएंट है या नहीं उसके लिए हमें जेनेटिक सीक्वेंसिंग करनी होगी. उसके लिए कई लैब इस पर काम कर रही हैं. जो नए केस आ रहे हैं उनके सैंपल की जेनेटिक सीक्वेंसिंग करके हम ये देख सकते हैं कि ये नया वेरिएंट हमारे देश में है या नहीं.
गुलेरिया ने बताया- वैक्सीन लगवाने का सही तरीका
वैक्सीन की पूरी तैयारी हो चुकी है. ये भी तय हो चुका है कि ये किसे-किसे लगेगा. हमारा मानना है कि पहले इसकी प्राथमिकता तय करनी होगी ताकि इससे होने वाली मौतों को कम किया जा सके. इसलिए जो बुजुर्ग हैं या जिन्हें कुछ और बीमारियों भी हैं उनको वैक्सीन पहले लगनी चाहिए. दूसरा वो लोग हैं जिनको एक्सपोजर के ज्यादा चांस हैं उनको लगनी चाहिए. वो हेल्थ वर्कर्स हैं और फ्रंट लाइन वर्कर्स हैं. इससे हमारा डेट रेट काफी कम हो जाएगा. इसके बाद हम और लोगों को वैक्सीन लगाना शुरू करेंगे. वैक्सीन प्रोग्राम फेजेज में होगा. हमारे पास पर्याप्त वैक्सीन होगी जिससे कि हम सबको धीरे-धीरे वैक्सीन लगा पाएंगे.
अनिल विज के कोरोना संक्रमित होने पर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के दो टीके लगते हैं 28 दिन के अंतर में. इसलिए एक इंजेक्शन लगने से आपको कोई प्रोटेक्शन नहीं मिलेगा. जब तक आप दूसरा टीका 28 दिन बाद नहीं लगाओगे तब तक आपको प्रोटेक्शन नहीं मिलेगा. क्योंकि वो आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करके एंटीबॉडीज बनाएगा. और जब दूसरा टीका भी लग जाएगा तो 10 दिन से दो हफ्ते लगते हैं जब तक आपके शरीर में एंटीबॉडीज नहीं बनती. इसीलिए टीका दोनों लगवाएं और उसके बाद भी दो हफ्ते तक पूरे एहतियात बरतें क्योंकि तब तक आपको कोई प्रोटेक्शन वैक्सीन से नहीं मिलेगा.