आज भारत की अगुवाई में ब्रिक्स सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ. वर्चुअल अंदाज में किए गए इस सम्मलेन में पीएम मोदी ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करवाई. खुद कई मुद्दों पर हिंदुस्तान का पक्ष रखा और दुनिया के दूसरे दिग्गजों को भी अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया. लेकिन सभी की नजर रही अफगानिस्तान मुद्दे पर, जानने का प्रयास रहा कि तालिबान पर कोई बातचीत हुई या नहीं.
अफगानिस्तान पर क्या फैसला?
अब विदेश मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि ब्रिक्स देशों ने अफगानिस्तान पर भी विस्तार से बातचीत की है. तालिबान पर तो सीधी टिप्पणी नहीं की गई, लेकिन वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की गई. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सभी नेता ने आम सहमति से कहा है कि हिंसा से कुछ भी सामाधान नहीं निकलने वाला है. सिर्फ और सिर्फ बातचीत के जरिए ही अफगानिस्तान में शांति स्थापित की जा सकती है.
इसके अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आक्रमक रवैया दिखाते हुए अमेरिका पर निशान साधा. उनके मुताबिक अगर अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ने में इतनी जल्दबाजी नहीं दिखाती, तो वहां पर स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं बनती. अभी के लिए पुतिन ने जोर देकर कहा है कि अफगानिस्तान को दूसरे देशों के लिए खतरा नहीं बनने नहीं दिया जा सकता. उनकी माने तो पूरी दुनिया के सामने सुरक्षा के लिहाज से चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है.
दूसरे क्या समझौते हुए?
अफगानिस्तान मुद्दे के अलावा कोरोना, व्यापार और आपसी सहयोग जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई और कई समझौते भी होते दिखे. अंत में सभी देशों द्वारा नई दिल्ली डिक्लेरेशन को स्वीकार किया गया. इस डिक्लेशन के मुताबिक सभी देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रमुख अंगों में सुधार करने के पक्ष में हैं.
इसके अलावा रूस और चीन द्वारा भारत की तारीफ भी की गई. एक तरफ रूस ने ब्रिक्स में भारत द्वारा दी गई थीम का स्वागत किया, तो वहीं दूसरी तरफ चीन ने भी इस सम्मेलन को कई मायनों में निर्णायक और महत्वपूर्ण बता दिया.