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BRICS समिट में भारत ने जमाई धाक, वैश्विक शक्तियों को ऐसे कर रहा बैलेंस

रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत ने अपने कूटनीतिक कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए रूस-चीन के साथ संबंधों को संतुलित किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत बनाई. ऊर्जा क्षेत्र में सफलता, पश्चिम के साथ बढ़ते संबंध, मध्य पूर्व में प्रभाव, और ब्रिक्स में प्रभावशील कम्युनिकेशन से यह संभव हो सका है.

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पीएम मोदी (Photo: Reuters)
पीएम मोदी (Photo: Reuters)

रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समाप्ती के साथ ही भारत ने एक बार फिर अपने बेहतरीन डिप्लोमेसी का परिचय दिया है. संघर्षों से घिरी दुनिया में भारत की ये चतुराई लाजवाब है. रूस-चीन के साथ खड़े होकर - जहां एक तरह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन में तबाही जारी है और चीन लगातार ताइवान को धमकियां देता है - इसके बावजूद भारत इन वैश्विक तनावों का फायदा उठाने में कामयाब रहा है.

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2022 से, भारत ने रियायती रूसी तेल के अपने आयात में बढ़ोतरी की, जिससे कम लागत पर भारत की ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा मिला. इस कदम ने वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच भारत की आर्थिक स्थिरता को मजबूत किया है. भारत का लगभग 70% डिफेंस हार्डवेयर रूस से आता है. मसलन, यह तब है जब पश्चिमी देशों ने रूस पर दर्जनों कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. 

पश्चिम को संतुलित करना

भारत, साथ ही पश्चिम के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहा है. क्वाड के एक प्रमुख सदस्य के रूप में, भारत इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सहयोग करता है. 

संतुलन बनाने की ये कला भारत को अपनी स्वतंत्रता से समझौता किए बिना या चीन या रूस को नाराज किए बिना, पश्चिम की भू-राजनीतिक रणनीतियों में एक अहम खिलाड़ी बने रहने में सक्षम बनाता है.

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मध्य पूर्व में रणनीतिक कदम

भारत ईस्ट-वेस्ट की खींचतान के बीच भी मिडिल ईस्ट में ईरान के साथ अपने संबंधों को गहरा कर रहा है. मसलन, ईरान का चाबहार पोर्ट इसके सबूत हैं. इस परियोजना से ट्रेड के मोर्चे पर न सिर्प पाकिस्तान को बायपास किया जा सकेगा, बल्कि ट्रेड रूट को भी सुरक्षित बनाने की दिशा में यह एक अहम सहयोग है.

ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत पश्चिम को अलग-थलग किए बिना इस रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखने में कामयाब रहा है.

ब्रिक्स के भीतर भारत की बढ़ती भागीदारी

ब्रिक्स के अन्य सदस्यों के साथ भारत के संबंध से भारत के स्टैंड को मिलती है मजबूती:

ब्राजील: भारत को ब्राजील के कृषि निर्यात, विशेष रूप से सोयाबीन से लाभ होता है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा में योगदान देता है. जैव ईंधन और रेन्वेबल एनर्जी में ऊर्जा सहयोग भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में भी मदद करता है.

रूस: तेल के अलावा, भारत ने प्राकृतिक गैस में अनुकूल ऊर्जा सौदे हासिल किए हैं और अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करते हुए उन्नत सैन्य तकनीक प्राप्त करना जारी रखा है.

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चीन: राजनीतिक तनाव के बावजूद, द्विपक्षीय व्यापार 2022 में 135.98 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. भारत आर्थिक निर्भरता बनाए रखते हुए कच्चे माल का निर्यात करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी का आयात करता है. आईसीटी और विनिर्माण में तकनीकी सहयोग ने भी इनोवेशन और इकोनॉमिक डेवलपमेंट को बढ़ावा दिया है.

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हाल ही में, चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर नई पेट्रोलिंग सिस्टम पर समझौते के बारे में सकारात्मक पहल शुरू हुई है. चीनी अधिकारी इसे सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक कदम के रूप में देखते हैं, जिससे तनावपूर्ण संबंधों में संभावित सुधार आ सकता है.

नए ब्रिक्स सदस्य और रणनीतिक गठबंधन

इस साल के शिखर सम्मेलन में यूएई, सऊदी अरब, ईरान, मिस्र और इथियोपिया जैसे नए सदस्यों को शामिल करने से भारत की संभावनाओं में और नए आयाम जुड़े हैं.

विविध आर्थिक भागीदारी: भारत के साथ यूएई के आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) ने व्यापार के लिए नए रास्ते खोले हैं. सऊदी अरब और ईरान के साथ रणनीतिक साझेदारी भी भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को मजबूत करती है, जिससे अहम ऊर्जा आपूर्ति तक पहुंच सुनिश्चित हो सकती है.

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आर्थिक और रणनीतिक सहयोग: इन नए सदस्यों के साथ सहयोग ऊर्जा, व्यापार और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों में भारत के प्रभाव को बढ़ाता है.

आर्थिक सहयोग की पहल: नेताओं ने टैरिफ कटौती और बेहतर लॉजिस्टिक्स के माध्यम से 2025 तक इंट्रा-ब्रिक्स व्यापार को 300 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने के उद्देश्य पर चर्चा की है.

एसडीजी): शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और रेन्वेबल एनर्जी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एसडीजी को हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया गया है.

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वित्तीय संस्थानों को मजबूत करना: चर्चाओं में ब्रिक्स देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बेहतर ढंग से फाइनेंस करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) को मजबूत करना भी शामिल था.

भारत का कूटनीतिक मास्टरक्लास

भारत की सभी ब्रिक्स सदस्यों के साथ संबंधों को संतुलित करने और व्यापक भू-राजनीतिक तनावों को दूर करने की क्षमता इसकी बेहतरीन कूटनीति का प्रमाण है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बिठाते हुए और पश्चिम और पूर्वी दोनों देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए, भारत वैश्विक शक्ति के सभी पक्षों से लाभ उठाता रहा है.

कजान शिखर सम्मेलन में हुए घटनाक्रम वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को और मजबूत करते हैं, जहां भारत ने अपनी आर्थिक संभावनाओं और भू-राजनीतिक स्थिति को बढ़ाने के लिए ब्रिक्स मंच बेहतरीन लाभ उठाने की कोशिश की है.

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