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आतंक पर चोट, अमेरिका पर तंज और तालिबान पर रणनीति, भारत की अगुवाई में हुई BRICS बैठक में क्या हुआ

रूस, चीन, साउथ अफ्रीका, ब्राज़ील और भारत के नेताओं ने इस दौरान कई विषयों पर चर्चा की, जिसमें आतंकवाद की चुनौती और अफगानिस्तान के बदलते हालात का क्षेत्र में पड़ने वाले असर पर बात हुई. सभी देशों ने भारत द्वारा जताई गई आतंकवाद पर चिंता का समर्थन किया और एकजुट होकर काम करने की बात कही. 

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ब्रिक्स देशों ने कई अहम मसलों पर की बात (फोटो: MEA)
ब्रिक्स देशों ने कई अहम मसलों पर की बात (फोटो: MEA)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत की अगुवाई में ब्रिक्स देशों की बैठक
  • अफगानिस्तान, तालिबान के मसले पर चर्चा

अफगानिस्तान (Afghanistan) की लगातार बदलती स्थिति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गुरुवार को ब्रिक्स (BRICS) देशों के प्रमुखों की बैठक हुई. रूस, चीन, साउथ अफ्रीका, ब्राज़ील और भारत के नेताओं ने इस दौरान कई विषयों पर चर्चा की, जिसमें आतंकवाद की चुनौती और अफगानिस्तान के बदलते हालात का क्षेत्र में पड़ने वाले असर पर बात हुई.

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सभी देशों ने भारत द्वारा जताई गई आतंकवाद पर चिंता का समर्थन किया और एकजुट होकर काम करने की बात कही. 

BRICS देशों का ये 13वां समिट था, इस बैठक की अध्यक्षता भारत कर रहा था. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सीधे तौर पर अफगानिस्तान का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन बैठक में इसपर विस्तार से चर्चा हुई. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक प्रेजेंटेशन दी, जिसमें 24 अगस्त को सभी देशों के NSA की मीटिंग से जुड़े अपडेट और अन्य बातों को विस्तार से बताया गया. 

भारत ने आतंकवाद पर जताई चिंता

भारत ने इस दौरान अपने बयान में बिना नाम लिए पाकिस्तान पर सीधा हमला किया है. भारत द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म अत्यंत चिंता का विषय है, इसके अलावा लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को वहां की सरकार का समर्थन हासिल है, जो कि क्षेत्र की सुरक्षा और शांति के लिए हानिकारक है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में अफगानिस्तान पर ज़ोर दिया, उन्होंने कहा कि हम में से कोई नहीं चाहता कि अफगानिस्तान एक ऐसी जगह बने जो आतंकवाद, ट्रैफिकिंग को बढ़ावा दे. हम किसी भी तरह के माइग्रेशन के विरोध में हैं और अफगान नागरिकों के लिए शांति का माहौल चाहते हैं. 

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अफगानिस्तान के मसले पर सभी देशों की ओर से स्थानीय लोगों की सुरक्षा, शांत माहौल, अफगानिस्तान की जमीन को आतंकी संगठनों का घर बनने से बचाने पर जोर देने की बात की. इसके अलावा मानवाधिकारों, महिलाओं के हकों, बच्चों और अल्पसंख्यकों के हक को लेकर भी चिंता जताई गई. वहीं, आतंकवाद की हर तरह से निंदा की गई, क्रॉस बॉर्डर मूवमेंट हो या फिर आर्थिक जाल, हर किसी को लेकर चिंता जताई गई है. 

रूस-चीन के निशाने पर अमेरिका

इस बैठक में चीन और रूस ने अमेरिका पर भी तंज कसा, व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मैं इस बात का जिक्र पहले भी कर चुका हूं कि अफगानिस्तान को सीधे तौर पर उन फैसलों का शिकार होना पड़ा है जो बाहर से थोपे गए हैं. बाहरी लोगों ने अफगानिस्तान के इतिहास और संस्कृति को जाने बिना अपनी बातें थोपने का काम किया.

तालिबान से कैसे की जाए बात?

हालांकि, एक चिंता की बात ये भी है कि BRICS देशों में अभी इस बात पर सहमति नहीं है कि तालिबान से कैसे बात की जाए. रूस-चीन एक अहम कड़ी हैं, लेकिन भारत अभी भी वेट एंड वॉच की नीति चाहता है. हालांकि, इन सभी के बीच चीन पहले ही अफगानिस्तान को 31 मिलियन डॉलर की मदद का ऐलान कर चुका है. 

गौरतलब है कि ब्रिक्स देशों का ये दूसरा समिट था, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. 2021 से पहले 2016 की अध्यक्षता उन्होंने ही की थी. ब्रिक्स ग्रुप में भारत, ब्राजील, चीन, रूस और साउथ अफ्रीका हैं. 

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