महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के सामने अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने गोंडा में सांसद द्वारा अवैध रेत खनन, ओवरलोडेड ट्रकों को अवैध रूप से चलवाने के आरोपों की जांच के लिए संयुक्त कमेटी को आदेश दे दिया है. एमओईएफ, सीपीसीबी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त कमेटी कथित अवैध खनन और ओवरलोडेड ट्रकों के माध्यम से अवैध परिवहन के कारण पर्यावरणीय क्षति की जांच करेगी. कमेटी को 7 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है. एनजीटी ने निर्देश दिया है कि कमेटी एक हफ्ते के भीतर जहां अवैध खनन हो रहा है, उस जगह का दौरा करेगी.
दरअसल एनजीटी से शिकायत की गई थी कि गोंडा में अवैध रेत खनन, ओवरलोडेड ट्रकों के चलने से परिवहन, पर्यावरण, सड़क, पुल को नुकसान पहुंच रहा है. इसके बाद एनजीटी ने एक्शन में आई. इसके बाद एनजीटी ने अवैध खनन, 700 ट्रकों के परिवहन पर रोक लग दी है.
बताया गया कि तीन गांवों में अवैध खनन हो रहा है. यह से निकाले जा रहे खनिज अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं. इसके अलावा कनेक्टिंग रोड, पुल को नुकसान हुआ है. एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय, प्रदूषण अधिकारियों, डीएम गोंडा को संयुक्त जांच के आदेश दिए है.
बृजभूषण शरण सिंह बालिग महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं. 20 जुलाई को इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दे दी है. कोर्ट ने बृजभूषण सिंह को 25 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी है. कोर्ट ने बृजभूषण सिंह के विदेश जाने पर भी रोक लगा दी है. साथ ही कहा है कि वह न किसी को धमकी देंगे न ही गवाहों को कोई लालच देंगे. सांसद के खिलाफ 15 जून को IPC की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज है.
वहीं बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नाबालिग पहलवान ने मंगलवार को कोर्ट में दिल्ली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट का विरोध नहीं किया. लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि पहलवान और उसके पिता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश छवि कपूर के सामने अपना बयान दर्ज कराया. उन्होंने कहा कि वे पुलिस जांच से संतुष्ट हैं और मामले में दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट का विरोध नहीं करते. फिलहाल कोर्ट ने छह सितंबर तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.
भारत में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई है. यह एक विशेष पर्यावरण अदालत है, जो पर्यावरण संरक्षण और वनों का संरक्षण से संबंधित मामलों कि सुनवाई करती है. अधिकरण की प्रधान पीठ नई-दिल्ली और भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अधिकरण के अन्य चार पीठें हैं. इसमें पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में भारत के सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज या हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते हैं. हर श्रेणी में निर्धारित न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की न्यूनतम संख्या 10 अधिकतम संख्या 20 होती है.