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जंतर मंतर पर के कविता का शक्ति प्रदर्शन, 18 दलों का मिला साथ, कल ED करेगी पूछताछ

के कविता ने बताया कि करीब 500-600 सदस्य भूख हड़ताल पर बैठेंगे, लेकिन इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या इससे अधिक होगी. उन्होंने बताया कि 6,000 से अधिक लोगों और 18 राजनीतिक दलों ने इसमें शामिल होने की हामी भरी है.

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के कविता (फाइल फोटो)
के कविता (फाइल फोटो)

बीआरएस नेता के कविता महिला आरक्षण बिल को पास कराने की मांग को लेकर दिल्ली में आज भूख हड़ताल कर रही हैं. के कविता तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी हैं. इस मुद्दे पर कविता को 18 विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है.  महिला आरक्षण बिल को लेकर जंतर मंतर पर कविता का विरोध प्रदर्शन ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने 11 मार्च को शराब घोटाले के मामले में उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया है.

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इससे पहले कविता ने मीडिया से बातचीत मे कहा कि यह बिल 2010 से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है और मोदी सरकार के पास 2024 से पहले इसे संसद में पारित कराने का ऐतिहासिक अवसर है. यह भूख हड़ताल उनके एनजीओ भारत जागृति द्वारा आयोजित की जा रही है. उन्होंने इसमें शामिल होने के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित भी किया है. सीपीआई एम, शिवसेना समेत अब तक 18 विपक्षी पार्टियों ने समर्थन देने का ऐलान किया है. 

के कविता ने बताया कि करीब 500-600 सदस्य भूख हड़ताल पर बैठेंगे, लेकिन इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या इससे अधिक होगी. उन्होंने बताया कि 6,000 से अधिक लोगों और 18 राजनीतिक दलों ने इसमें शामिल होने की हामी भरी है. 

CPI-M नेता सीताराम येचुरी इस भूख हड़ताल की शुरुआत करेंगे. के कविता महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाले बिल को पारित करने की मांग कर रही हैं. यह बिल मई 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था. इसके बाद इसे स्थायी समिति को भेजा गया था. 2010 यह सदन में पारित हो गया. लेकिन लोकसभा में अटक गया. 

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के कविता ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण बिल लाने का वादा किया था. यह बीजेपी के घोषणापत्र का भी हिस्सा था. उन्होंने कहा कि भाजपा के किसी भी नेता ने इस मुद्दे को नहीं उठाया और मोदी सरकार बहुमत होने के बावजूद संसद में इस विधेयक को पारित कराने में विफल रही है. उन्होंने कहा, यह बहुत ही दुखद मुद्दा है. 

कविता ने कहा, मैं पीएम, सभी राजनीतिक नेताओं और विशेष रूप से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील करना चाहती हूं और भारत सरकार से अनुरोध करना चाहती हूं कि उसके पास अभी भी अवसर है क्योंकि संसद के दो और सत्र हैं, इसे पारित कराएं. 

 

 

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