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पांच महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आईं के. कविता, बेटे और पति को गले लगाकर हुईं भावुक

के. कविता जैसे ही जेल परिसर से बाहर निकलीं, बीआरएस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने ढोल बजाकर और पटाखे फोड़कर उनकी रिहाई का जश्न मनाया. कविता के भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव उन्हें रिसीव करने तिहाड़ जेल के बाहर पहुंचे थे.

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दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पांच महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आईं के. कविता. (ANI Photo)
दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पांच महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आईं के. कविता. (ANI Photo)

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली शराब घोटाला केस में जमानत दिए जाने के बाद भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता मंगलवार रात को 5 महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आईं. इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही है. जैसे ही वह जेल परिसर से बाहर निकलीं, बीआरएस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने ढोल बजाकर और पटाखे फोड़कर उनकी रिहाई का जश्न मनाया. कविता के भाई और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव उन्हें रिसीव करने तिहाड़ जेल के बाहर पहुंचे थे.

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भावुक कविता को जेल के बाहर अपने बेटे और पति को गले लगाते देखा गया. जेल के बाहर मौजूद मीडिया कर्मियों से बातचीत में के कविता ने कहा, 'मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं. आज लगभग 5 महीने बाद अपने बेटे, भाई और पति से मिलकर मैं भावुक हो गयी. इस स्थिति के लिए सिर्फ राजनीति जिम्मेदार है. देश जानता है कि मुझे सिर्फ राजनीति के कारण जेल में डाला गया, मैंने कोई गलती नहीं की. हम फाइटर्स हैं, हम यह लड़ाई कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे. उन्होंने (केंद्र सरकार) केवल बीआरएस और केसीआर की टीम को अटूट बनाया है.' 

शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कड़ी शर्तों के साथ के. कविता की  तत्काल रिहाई का आदेश दिया. कविता को सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में 10-10 लाख रुपये का बेल बांड भरने के बाद रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ट्रायल कोर्ट में अपना पासपोर्ट जमा करने, मुकदमे की कार्यवाही में नियमित रूप से उपस्थिति रहने, सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित नहीं करने की शर्तों के साथ 
जमानत दी.

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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कविता के खिलाफ सीबीआई और ईडी द्वारा पेश किए गए सबूतों पर सवाल उठाए. पीठ ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है, जिससे आरोपी की निरंतर हिरासत अनावश्यक हो गई है. अदालत ने आगे कहा कि विचाराधीन कैदी की हिरासत को सजा का एक रूप नहीं बनाया जाना चाहिए, खासकर जब मुकदमे का निष्कर्ष निकट भविष्य में होने की संभावना नहीं है. 

के. कविता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि जांच एजेंसियों ने पहले ही उनके खिलाफ अपनी जांच पूरी कर ली है. उन्होंने इस मामले में कविता के साथ सह-अभियुक्त आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ समानताएं पेश कीं. हालांकि, जांच एजेंसियों का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आरोप लगाया कि कविता ने अपना मोबाइल फोन नष्ट कर दिया था या उसे फॉर्मेट कर दिया था, उन्होंने दावा किया कि यह सबूतों से छेड़छाड़ है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने के. कविता को जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के पहले के फैसले पर भी टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस टिप्पणी को 'आपत्तिजनक' बताया और रद्द करने का आदेश दिया, जिसमें  कहा गया था कि आरोपी (के. कविता) को केवल इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती, क्योंकि वह एक शिक्षित और स्वतंत्र महिला है. तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को इस साल 15 मार्च को ईडी ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया था. फिर सीबीआई ने उन्हें 11 अप्रैल को तिहाड़ जेल में ​गिरफ्तार किया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने अब रद्द हो चुकी दिल्ली एक्साइज पॉलिसी 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में प्रमुख साजिशकर्ता के रूप में कविता की कथित संलिप्तता का हवाला देकर उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

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