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देश के आम बजट का गणित समझिए, बैंकिंग पर क्यों फोकस कर रही सरकार? : आज का दिन, 2 फरवरी

देश के आम बजट में बैंकिंग पर क्यों रहा सरकार का फोकस, सचिन पायलट की सक्रियता गहलोत पर कितनी पड़ेगी भारी और चीनी टेक्नोलॉजी का मिलकर मुकाबला कैसे करेंगे भारत-US? सुनिए 'आज का दिन' में.

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budget 2023
budget 2023

कल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नौकरीपेशा वालों से लेकर गरीब-किसान और महिलाओं तक के लिए कई ऐलान किए. एक ओर जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के बजट को बढ़ाया गया, वहीं अंत्योदय योजना को एक साल के लिए और एक्सटेंड कर दिया गया है. इतना ही नहीं, इनकम टैक्स के स्लैब में भी अहम बदलाव किए गए. इस बजट में बैंकिंग सेक्टर के लिए भी काफी कुछ था जो आम आदमी के लिहाज से ज़रूरी कहा जा सकता है. सरकार ने क्रेडिट गारंटी प्लान के लिए बजट में 9000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं. इस स्कीम के तहत देश के MSME सेक्टर को 1 फीसदी कम इंटरेस्ट रेट पर लोन देने को कहा गया है.

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इसके अलावा एक ऐलान और था.और वो ये कि सरकार एक नेशनल फाइनेंशियल इनफार्मेशन रजिस्ट्री बनाएगी. जिसका काम होगा कर्ज की प्रक्रिया आसान बनाना और आर्थिक मामलों में स्थिरता लाना. क्यों सरकार का फोकस बैंकिंग पर रहा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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कल ही देश का आम बजट आया. और अब से चार दिन बाद 6 फरवरी को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का बजट आना है. लेकिन इस बजट से पहले सचिन पायलट की एक्टिविटी बढ़ी है जो बीजेपी से ज़्यादा गहलोत को परेशान कर सकती है. राजस्थान में इसी साल चुनाव हैं. गहलोत-पायलट की तनातनी किसी से छिपी नहीं. कांग्रेस को बीजेपी से तो लड़ना ही है सत्ता बचाने के लिए, लेकिन उससे पहले मुख्यमंत्री उम्मीदवार कौन होगा, इस पर अंदर खाने की होड़ है. पायलट राजस्थान में अपनी इसी दावेदारी को मज़बूत करने के लिए गुर्जर समाज से आगे निकल रहे हैं जिनपर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. अन्य जातियों समेत राजस्थान के कई किसान सम्मेलन बुला रहे हैं हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस की हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा भी राजस्थान में पायलट के ही हाथ मे है. एक दूसरे पर हमले करते ये नेता पार्टी की आने वाले चुनावों में कितनी मदद कर पाएंगे,ये वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल पायलट की ये कोशिश कितनी असरदार दिखाई दे रही है और पायलट को इस रणनीति की ज़रूरत क्यों पड़ी और क्या इस तनातनी के बीच संयुक्त रूप से वोटर्स का भरोसा मिल पाएगा कांग्रेस को? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल दो दिन के अमेरिकी दौरे पर थे, कल उनका ये दौरा ख़त्म हुआ. लेकिन वहाँ डोभाल के लीडरशिप में भारत और अमेरिका के बीच डील पर जो बात हुई है, उसकी चर्चा ख़ूब हो रही है. भारत और अमेरिका के बीच  iCET यानी इनीशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी डील हुई है. इस डील के दौरान दोनों देशों के एनएसए और कई अधिकारी मौजूद थे. आपको ये भी बता दें कि इसी डील के लिए भारत से अजीत डोभाल के साथ इसरो और डीआरडीओ चीफ भी अमेरिका पहुंचे थे. डील के बाद व्हाइट हाउस की तरफ से बयान भी आया. उनका कहना है कि डील के जरिए दोनों देश चीन के सेमीकंडक्टर्स, मिलिट्री इक्विपमेंट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का मुकाबला कर सकेंगे. इस डील की पूरी डिटेल्स क्या हैं और ये क्यों महत्वपूर्ण है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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