scorecardresearch
 

'मन में गलत विचार ना आने दें. अन्याय बर्दाश्त ना करें,' CJI एनवी रमना की छात्रों को सीख

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने छात्रों से कहा कि मन में गलत विचारों को ना आने दें. अन्याय बर्दाश्त ना करें. अपने से परे सोचें और बलिदान देने के लिए तैयार रहें. CJI ने छात्रों से कहा कि समुदाय और समाज की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहें. CJI ने वर्तमान पीढ़ी द्वारा पसंद की जाने वाली शिक्षा प्रणाली के प्रति चिंता जताई.

Advertisement
X
CJI एनवी रमना ने दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. (फाइल फोटो)
CJI एनवी रमना ने दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने शनिवार को बक्षा का एक ऐसा मॉडल विकसित करने पर जोर दिया, जो छात्रों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाए. इसके साथ ही उन्होंने सभी से जीवंतता और आदर्शवाद से भरे लोकतंत्र के निर्माण का आह्वान किया, जहां विविध विभिन्न विचारों और संस्कृति का सम्मान किया जाए. CJI रमना आंध्र प्रदेश में आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे.

Advertisement

सामाजिक प्रासंगिकता खो रहे शिक्षण संस्थान

उन्होंने छात्रों से कहा कि मन में गलत विचारों को ना आने दें. अन्याय बर्दाश्त ना करें. अपने से परे सोचें और बलिदान देने के लिए तैयार रहें. CJI ने छात्रों से कहा कि समुदाय और समाज की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहें. CJI ने वर्तमान पीढ़ी (Present Generation) द्वारा पसंद की जाने वाली शिक्षा प्रणाली (Education System) के प्रति चिंता जताई. उन्होंने कहा कि संस्थान अपनी सामाजिक प्रासंगिकता खो रहे हैं.

एजुकेशन सिस्टम में बदलाव का समय...

उन्होंने कहा कि मैं नहीं मालूम कि इन 'एजुकेशन फैक्ट्रियों' के लिए किसे दोषी ठहराया जाए. ये शिक्षा प्रणाली में बदलाव का समय है. 'एजुकेशन फैक्ट्रियों' की बढ़ोतरी से डिग्रियों और मानव संसाधनों में गिरावट आ रही है. CJI का कहना था कि अच्छी शिक्षा लोगों को समाज में व्याप्त गहरे जड़ वाले मुद्दों को स्वीकार करने और उचित समाधान खोजने में सक्षम बनाती है. CJI का कहना था विश्वविद्यालयों को नवीन विचारों और रास्ता दिखाने वाले रिसर्च का इन्क्यूबेशन सेंटर होना चाहिए.

Advertisement

आज शिक्षा का एक मॉडल विकसित करने की जरूरत

CJI ने छात्रों की घटती सामाजिक भागीदारी के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि आज शिक्षा का एक मॉडल विकसित करने की जरूरत है जो वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे करना सिखाता हो. इस तरह की शिक्षा सामाजिक एकजुटता हासिल करने और आम नागरिक को भी समाज का सार्थक सदस्य बनाने में सहायक होनी चाहिए.

व्यापक समाधान खोजने की जरूरत

CJI ने कहा कि ये हमारी शिक्षा प्रणाली के परिवर्तन का समय है, जहां संस्थानों को सामाजिक संबंधों और जागरूक नागरिकता के मूल्य पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने व्यापक समाधान खोजने की कोशिश करने के लिए विश्वविद्यालयों और उनके रिसर्च विंग की आवश्यकता पर जोर दिया. इस संबंध में CJI ने कुछ सुझाव भी दिए हैं-

- विश्वविद्यालयों को अपनी घरेलू क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए
- छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने और वैज्ञानिक जांच और रिसर्च कल्चर को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालयों को प्रसिद्ध अनुसंधान और विकास संगठनों के साथ सहयोग करना चाहिए.
- रिसर्च और इन्वोशन के लिए फंड निर्धारित करने के लिए राज्य की तरफ से सक्रिय सहयोग होना चाहिए.

Advertisement

CJI ने आगे कहा कि जैसे बहुलवादी समाज में सामाजिक व्यवस्था और न्याय को बनाए रखना जरूरी है, ठीक वैसे ही शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं में व्यक्तित्व का संरक्षण और लोगों को सामाजिक जरूरतों के प्रति उत्तरदायी होने में सक्षम बनाना शामिल है.

Advertisement
Advertisement