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महाराष्ट्र में विभागों का बंटवारा, अजित पवार को मिला वित्त मंत्रालय, NCP के खाते में आए ये विभाग

महाराष्ट्र की कैबिनेट में शुक्रवार को विभागों का वितरण कर दिया गया है. कई दिनों से अटके पड़े इस आवंटन को लेकर राज्य की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म था. शुक्रवार को जब स्थिति स्पष्ट हुई तो डिप्टी सीएम अजित पवार को वित्त मंत्रालय मिला. छगन भुजबल और हसन मुशरीफ और धनंजय मुंडे को भी अहम विभाग दिए जाने की बात सामने आई है.

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अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस, सीएम एकनाथ शिंदे
अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस, सीएम एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्र कैबिनेट में कई दिनों से अटका पड़ा विभागों को बंटावारा शुक्रवार को हो गया. डिप्टी सीएम बने एनसीपी नेता अजित पवार को वित्त जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिली है. इसके साथ ही उनके हिस्से योजना विभाग भी आया है. वहीं उनके साथ शरद पवार का साथ छोड़कर आए एनसीपी नेता छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और हसन मुशरीफ भी अहम विभाग मिले हैं. 

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सबसे बड़ी बात है, इस विभाग के आवंटन में बीजेपी ने अधिकांश विभाग खोकर एनसीपी के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी है, जबकि सीएम एकनाथ शिंदे के खेमे को अपना कृषि विभाग गंवाना पड़ा है. हालांकि एनसीपी की ओर से हुई कड़ी सौदेबाजी में सीएम शिंदे बीजेपी पर भारी पड़े हैं.

किसे क्या मिला

वित्त - अजित पवार
कृषि - धनंजय मुंडे
सहकार-दिलीप वलसे पाटिल
चिकित्सा शिक्षा - हसन मुश्रीफ
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति - छगन भुजबल
खाद्य एवं औषधि प्रशासन - धर्मराव अत्राम
खेल - अनिल भाईदास पाटिल
महिला एवं बाल कल्याण - अदिति तटकरे

एनसीपी के कोटे में सात महत्वपूर्ण मंत्रालय
बता दें कि, महाराष्ट्र में लंबी जद्दोजेहद के बाद आखिरकार सीएम शिंदे ने एनसीपी के नवनियुक्त मंत्रियों के विभागों के बंटवारे पर अंतिम मुहर लगा दी है. एनसीपी के कोटे में सात महत्वपूर्ण मंत्रालय आ गए हैं जिनमें वो वित्त मंत्रालय भी शामिल है जिसे लेकर काफी दिनों से रस्साकशी चल रही थी. इसके अलावा एनसीपी को योजना,खाद्य और नागरिक आपूर्ति, सहकारी समितियां, महिला और बाल विकास, कृषि, राहत और पुनर्वास, चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय भी मिल गया है.

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अजित पवार वित्त मंत्रालय के लिए थे आक्रामक
थोड़ी देर पहले ही, अजित पवार ने राज्यपाल को भेजी गई पोर्टफोलियो वितरण सूची की पुष्टि की थी. सामने आया था कि वित्त और सहकारिता मंत्रालय को लेकर एनसीपी व शिंदे गुट के बीच खींचतान चल रही है, जिसके चलते विभागों का बंटवारा अभी तक नहीं हो सका था. अजित पवार वित्त और सहकारिता मंत्रालय एनसीपी के पास रखने को लेकर आक्रामक थी. असल में अजित पवार गुट वित्त के साथ ही सहकारिता मंत्रालय को लेकर आक्रामक थे, क्योंकि यह एनसीपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण था.

दर्जन भर से अधिक एनसीपी नेता सहकारी या निजी चीनी कारखाने चला रहे हैं. साथ ही उनका सहकारी बैंकों पर भी नियंत्रण है. उन्हें दोनों क्षेत्रों में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब उनके पास सहकारी मंत्रालय होगा तो उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से हो सकेगा. 

 

अजित पवार को भी मिल गई ताकत

बंटवारे के बाद किसने क्या खोया, क्या पाया
सीएम शिंदे खेमे के नेता अब्दुल सत्तार के पास इससे पहले कृषि विभाग था. इसे उनसे लेकर अजित गुट को दिया गया है. वहीं शिंदे गुट के नेता संजय राठौड़ के पास मौजूद रहा एफडीए को भी अजित पवार के खेमे को दे दिया गया है. बीजेपी ने गिरीश महाजन के पास से मेडिकल शिक्षा और खेल वापस लिया. मेडिकल शिक्षा एनसीपी के नेता हसन मुशरीफ को सौंपा गया है. वहीं खेल अनिल भाईदास पाटिल को मिला है. मंगल प्रभात लोढ़ा के पास महिला एवं बाल कल्याण लेकर अदिति तटकरे को सौंपा है. रवींद्र चव्हाण के पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति लेकर छगन भुजबल को दिया है. 

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बीजेपी में गिरीश महाजन को मेडिकल शिक्षा के बदले मिला पर्यटन दिया गया है तो वहीं, अतुल सावे से सहकारिता विभाग वापस लेकर उन्हें आवास और ओबीसी विभाग मिला है. 
शिव सेना में दादा भुसे को बंदरगाहों के बदले लोक निर्माण विभाग मिला है. 
संजय राठौड़ को एफडीए के बदले मृदा एवं जल संरक्षण दिया गया.
अब्दुल सत्तार को कृषि के बदले अल्पसंख्यक मामलों और विपणन का विभाग मिला है. 

बागी विधायकों को निलंबित करने की मांग
बता दें कि पिछले रविवार (2 जुलाई) को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और छगन भुजबल, दिलीप वलासे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अदिति तटकरे और धर्मरावबाबा अत्राम ने मंत्री पद की शपथ ली है. एनसीपी संस्थापक शरद पवार गुट ने उन 9 विधायकों को अस्थायी तौर पर निलंबित करने की मांग की है, जिन्होंने अजित पवार का समर्थन किया है और शिंदे-फडणवीस सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. इन विधायकों के खिलाफ एनसीपी विधायक और ग्रुप लीडर जयंत पाटिल ने विधानसभा स्पीकर हाउस में याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि इन विधायकों को अस्थायी तौर पर निलंबित करने की कार्रवाई की जाए.

 

 

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