पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के ऐलान के बाद से हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. इसको लेकर अब कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के सभी जिलों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को कहा है कि 48 घंटे के भीतर आदेश का पालन किया जाए.
गुरुवार को ही दक्षिण 24 परगना और बीरभूम जिलों में हिंसा के मामले सामने आए. नामांकन के आखिरी दिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के दौरान भांगर इलाके में बम फेंके गए, जिसके बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े.
वहीं बुधवार को दक्षिण 24 परगना और बांकुरा जिलों के कुछ हिस्सों में झड़पों की सूचना मिली, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए 8 जुलाई को वोट डाले जाएंगे. लगभग 75,000 सीटों के लिए मतदान एक ही चरण में होगा. चुनाव में ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के लिए मतदान शामिल होगा.
इस बीच, बंगाल में सत्ताधारी टीएमसी और विपक्ष ने हिंसा के लिए एक-दूसरे पर निशाना साधा. झड़पों के कारण नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर पाने वाले उम्मीदवारों को लेकर भाजपा बुधवार को एसईसी कार्यालय में घुस गई.
दूसरी ओर, टीएमसी ने आरोप लगाया कि भाजपा सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने में अपनी विफलता से ध्यान हटाने के लिए नाटक कर रही है. 15 जून को, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों पर पंचायत चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करते समय हिंसा करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, "विपक्षी दल नामांकन दाखिल करने के दौरान हिंसा करके गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे राज्य की छवि खराब करने के लिए ऐसा कर रहे हैं."