विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और कनाडा की सरकारों को एक-दूसरे से बात करनी होगी और देखना होगा कि वे एक खालिस्तानी आतंकी की मौत पर अपने मतभेदों को कैसे सुलझाते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुमोदन (Permissiveness) के बड़े मुद्दे की पहचान कर उसका हल निकाला जाना चाहिए.
अमेरिका के वॉशिंगटन में शुक्रवार को भारतीय पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की "संभावित" संलिप्तता के कनाडा के आरोपों से संबंधित जानकारी पर गौर करने के लिए तैयार है.
कनाडा जानकारी दे, हम करेंगे विचार
जयशंकर ने कहा, 'मुद्दा यह है कि कनाडाई लोगों ने कुछ आरोप लगाए हैं. हमने उन्हें बताया है कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है, लेकिन अगर वे हमारे साथ विशिष्ट विवरण और कुछ भी प्रासंगिक साझा करने के लिए तैयार हैं, तो हम भी इसे देखने के लिए तैयार हैं. तो इस अर्थ में, मामला वहीं है." हालांकि उन्होंने आगे कहा कि, "लेकिन हम यह नहीं देखना चाहते कि किसी घटना को अलग-थलग तरीके से देखा जाए क्योंकि तब वह सही तस्वीर नहीं पेश करती है.'
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कनाडा में हो रही हैं भारत विरोधी गतिविधियां
जयशंकर ने कहा कि भारत को पिछले कुछ वर्षों से कनाडा और उसकी सरकार के साथ एक चल रही समस्या है, और समस्या वास्तव में "आतंकवाद, उग्रवाद और चुनावी हस्तक्षेप के संबंध में अनुमोदन (Permissiveness)" के इर्द-गिर्द घूमती है. उन्होंने कहा, टयह अनुमोदन अथवा सहमति इस तथ्य में भी परिलक्षित होती है कि कुछ महत्वपूर्ण प्रत्यर्पण अनुरोधों का उनके पक्ष से जवाब नहीं दिया गया है, वहां ऐसे व्यक्ति और संगठन हैं जो स्पष्ट रूप से भारत में हिंसा और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं, जिन्होंने खुद इसे घोषित किया है. मेरा मतलब है कि यह कोई रहस्य नहीं है और वे कनाडा में अपनी गतिविधियों को जारी रखते हैं.'
जयशंकर ने कहा कि एक परेशानी यह भी है कि कोई भी घटना अलग-थलग नहीं है और सब कुछ के लिए एक संदर्भ होता है.उन्होंने कहा, 'वहां कई समस्याएं हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि व्यक्तिगत घटनाओं के मामले में, संबंधित सरकारों को एक-दूसरे से बात करनी होगी और देखना होगा कि वे इसे कैसे आगे बढ़ाते हैं.'
कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे का एक बड़ा पक्ष है, और मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि बड़े मुद्दे को उठाया जाए. बड़ा मुद्दा स्वीकृति है जिसके बारे में मैंने बात की है. जयशंकर ने बताया कि उन्होंने भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक विवाद के बारे में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से चर्चा की.
उन्होंने कहा, ‘सबसे जरूरी बात यह है कि कनाडा में हमारे राजनयिक मिशन और हमारे दूतावास कर्मियों को इस हद तक लगातार धमकाया गया है कि आज उनके लिए वहां काम करना सुरक्षित नहीं है. जाहिर है कि हमें अपनी वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित करनी पड़ीं, जो करना हमें पसंद नहीं है. उन्होंने हमारे लिए उन सेवाओं का संचालन करना बहुत मुश्किल बना दिया है. लेकिन एक बड़ा मुद्दा है और मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि बड़े मुद्दे को हल किया जाना चाहिए. बड़ा मुद्दा यह अनुमति है जिसके बारे में मैंने बात की है.'
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अमेरिकी विदेश मंत्री ने कही ये बात
इससे पहले, ब्लिंकन ने पत्रकारों से कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि कनाडा और भारत इस मुद्दे को हल कर लेंगे. निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की ‘संभावित’ संलिप्तता संबंधी कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है. भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था. भारत ने इन आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘राजनीति से प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया था और ओटावा में इस मामले पर एक भारतीय अधिकारी को निष्कासित करने के जवाब में एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया था.
ब्लिंकन ने कहा, ‘हम कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर बहुत चिंतित हैं. हम इसे लेकर कनाडा के बहुत करीबी संपर्क में हैं. साथ ही हमने भारत सरकार से बात की है और उनसे जांच में कनाडा का सहयोग करने का अनुरोध किया है. मुझे कल विदेश मंत्री जयशंकर के साथ हुई बैठक में फिर से ऐसा करने का मौका मिला था.’
उन्होंने कहा, 'जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और हमें उम्मीद है कि कनाडा और भारत दोनों में हमारे दोस्त इस मामले को सुलझाने के लिए मिलकर काम करेंगे.' यह पूछे जाने पर कि क्या इस मुद्दे को सुलझाने को लेकर भारत और कनाडा के बीच गतिरोध है, जयशंकर ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मैं गतिरोध शब्द का इस्तेमाल करूंगा या नहीं.'
कनाडा पर जमकर बरसे एस जयशंकर
जयशंकर ने कहा,' भारत का मानना है कि आज वहां (कनाडा) हिंसा का माहौल है, भय का माहौल है. इसके बारे में सोचकर देखो. हमारे मिशन पर स्मोक बम फेंके हैं. हमारे वाणिज्य दूतावास हैं, उनके सामने हिंसा होती है. व्यक्तियों को निशाना बनाया जाता है और डराया गया है. लोगों के बारे में पोस्टर लगाए गए हैं. तो बताओ, क्या आप इसे सामान्य मानते हो? यदि किसी अन्य देश के साथ ऐसा हुआ होता तो वे इस पर क्या प्रतिक्रिया देते? मुझे लगता है कि यह पूछना उचित प्रश्न है. आइए कनाडा में जो कुछ हो रहा है उसे सामान्य न बनाएं. कनाडा में जो हो रहा है, अगर यह कहीं और हुआ होता, तो क्या आपको लगता है कि दुनिया ने इसे समभाव से लिया होता?'
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जयशंकर ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राजनयिकों को धमकी देना स्वीकार्य नहीं है.विदेश मंत्री ने पूछा, ‘हमें अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में दूसरे लोगों से सीखने की जरूरत नहीं है. लेकिन हम लोगों को यह बता सकते हैं. हमें नहीं लगता कि अभिव्यक्ति की आजादी हिंसा भड़काने तक फैली हुई है. हमारे लिए यह आजादी का दुरुपयोग है. यह आजादी की रक्षा नहीं है. मैं हमेशा लोगों से एक सवाल पूछता हूं कि अगर आप मेरी जगह होते, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती? यदि यह आपके राजनयिक, आपके दूतावास, आपके लोग होते, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती?’ जयशंकर ने कहा कि अगर भारत को किसी चीज पर गौर करने की जरूरत है, तो वह उसके लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि पूरी बहस केवल एक मुद्दे पर केंद्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उस वृहद परिदृश्य पर भी चर्चा होनी चाहिए, जो कुछ वक्त से जारी है और बहुत गंभीर है.जयशंकर ने कहा, ‘मैं सोच रहा था कि पिछली बार हमारा कोई मिशन कब इतना भयभीत था कि वह अपना सामान्य कामकाम जारी नहीं रख पाया था? मुझे वास्तव में गुजरे वक्त के बारे में सोचना होगा और अगर कोई कहता है कि यह किसी जी-7 देश में हो सकता है, एक राष्ट्रमंडल देश में, तो इसके बारे में सोचने के लिए आपके पास बहुत कुछ है.’