सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने अभियोजन पक्ष की प्रतिक्रिया पर खेडकर के वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया और साथ ही उन्हें पहले दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा को भी बढ़ा दिया.
सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली पुलिस के वकील से पूछा कि जब पूजा खेडकर जांच में सहयोग करने की इच्छा जता रही हैं, तो अब तक उन्हें पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया गया? अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस. वी. राजू ने अदालत को बताया कि पुलिस उनकी हिरासत में पूछताछ करना चाहती है.
'वह प्रमाण पत्र जारी करने वाली मास्टरमाइंड नहीं'
अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, 'वह प्रमाण पत्र जारी करने वाली मास्टरमाइंड नहीं हैं. यह उनका एक अलग मामला है.' सुप्रीम कोर्ट ने खेडकर के वकील से यह भी पूछा कि जब अधिकतम 9 प्रयासों की अनुमति है, तो उन्होंने इससे अधिक प्रयास कैसे किए? इस पर खेडकर के वकील ने जवाब दिया कि उन्होंने विकलांगता के आधार पर केवल तीन प्रयास किए हैं और एक विकलांग व्यक्ति के रूप में अपने प्रयासों की सीमा समाप्त नहीं की है.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने सख्ती से कहा, आप ऐसा नहीं कह सकते कि सामान्य और विकलांग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग प्रयास होंगे. आपको अपने प्रयासों को सही ठहराना होगा. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को सूचीबद्ध करते हुए एएसजी से कहा, आपको भी इस जांच को दृढ़ता से आगे बढ़ाना चाहिए.
इस मामले में, यूपीएससी ने अपने हलफनामे में पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उनके द्वारा किया गया धोखाधड़ी अभूतपूर्व स्तर की है. उन्होंने न केवल एक संवैधानिक निकाय यूपीएससी बल्कि आम जनता के साथ भी धोखा किया है.
यूपीएससी ने कहा कि खेडकर ने अपनी पहचान बदलकर परीक्षा नियमों के अनुसार निर्धारित सीमा से अधिक प्रयास किए, जो पूरी तरह से अवैध है. यूपीएससी ने यह भी कहा कि उनकी पूछताछ आवश्यक है ताकि इस धोखाधड़ी की वास्तविक सीमा का पता लगाया जा सके. इसके अलावा, सच्चाई का पता लगाने और पर्याप्त साक्ष्य जुटाने के लिए उनकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक है.