बिहार में जातीय जनगणना को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. राज्य में सात जनवरी से जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. राज्य में यह सर्वे करवाने की जिम्मेदारी सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) को सौंपी गई है.
सरकार मोबाइल फोन ऐप के जरिए हर परिवार का डेटा डिजिटली इकट्ठा करने की योजना बना रही है. इस सर्वे में शामिल लोगों को पहले ही आवश्यक ट्रेनिंग दे दी गई है. जीएडी ने जातीय जनगणना सर्वे का ब्लूप्रिंट तैयार किया है. यह जनगणना दो चरणों में होगी. पहले चरण की जनगणना सात जनवरी से पटना से शुरू होगी.
इस दौरान वीआईपी इलाकों में घरों की गणना की जाएगी, जिनमें मंत्रियों, विधायकों के आवास शामिल होंगे. इनकी संख्या से जुटे आंकडे़ जुटाए जाएंगे. इसके अलावा हर परिवार के मुखिया और हर घर के सदस्यों के नाम का भी दस्तावेजीकरण किया जाएगा.
इस सर्वे के लिए जिस मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा. उसमें परिवार के लोगों के नाम, उनकी जाति, जन्मस्थान और परिवार के सदस्यों की संख्या से जुड़े सवाल होंगे. इसके साथ ही उनके आर्थिक स्थिति और सालाना आय से जुड़े सवाल भी होंगे.
दो चरणों में होगा सर्वे
दूसरे चरण की जनगणना एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक होगी. इस दौरान जनगणना में शामिल लोग लोगों की जाति, उनकी उपजाति और धर्म से जुड़े डेटा जुटाएगी.
राज्य सरकार ने मई 2023 तक जातीय जनगणना की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा है. जिला स्तर पर सर्वे करने की जिम्मेदारी संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को दी गई है, जिन्हें इस काम के लिए जिलों में नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है.
सरकार जातीय जनगणना के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है. इससे पहले पिछले साल जून में फैसला किया गया था कि जातीनय जनगणना फरवरी 2023 तक पूरी की जाएगी. लेकिन बाद में सर्वे के काम को पूरा करने की डेडलाइन तीन महीने बढ़ाकर मई 2023 तक कर दी गई.