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Chanda Kochhar: ट्रेनी से ICICI की CEO पद तक पहुंची, एक आरोप से करियर तबाह... चंदा कोचर की कहानी

CBI ने चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को वीडियोकॉन को दिए गए लोन के मामले में गिरफ्तार किया है. एक समय था, जब चंदा कोचर का नाम बैंकिंग सेक्टर के दिग्गजों की लिस्ट में टॉप पर था. फॉर्च्यून पत्रिका ने लगातार 3 बार उन्हें भारत की सबसे प्रभावशाली कारोबारी महिला का खिताब दिया था.

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चंदा कोचर (File Photo)
चंदा कोचर (File Photo)

वीडियोकॉन को दिए गए लोन के मामले में CBI ने बड़ा एक्शन लेते हुए शुक्रवार (23 दिसंबर) को ICICI बैंक की पूर्व MD और CEO चंदा कोचर को उनके पति दीपक कोचर के साथ गिरफ्तार कर लिया. चंदा पर आरोप है कि ICICI बैंक की कमान संभालते हुए उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था. बदले में चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन से निवेश मिला था.

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चंदा कोचर ने 1984 में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में ICICI ज्‍वाइन किया था. उस समय उनकी उम्र सिर्फ 22 साल थी. कोचर को ICICI में काम के प्रति उनके दृष्टिकोण को देखकर प्रबंध निदेशक और CEO का पद सौंपा गया था. कोचर की योग्‍यता का पता बैंक को उस समय ही चल गया था, जब 1993 में उन्हें कॉर्पोरेट बैंकिंग का चार्ज दिया गया. कोचर ने एक साल का टार्गेट 3 महीने में ही पूरा कर लिया था.

साल 2009 में जब कोचर ने ICICI की कमान संभाली थी, उस समय पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही थी. हालांकि चंदा कोचर की सूझबूझ और कार्यकुशलता ने इस मुश्किल दौर के वक्‍त में भी ICICI बैंक को अच्छी वृद्धि करने में मदद की थी. 
साल 2011-12 की पहली तिमाही में बैंक ने अपने शुद्ध मुनाफे में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की. हालांकि इस समय कई प्रमुख बैंकों के मुनाफे में कमी आई थी.

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चंदा कोचर के साथ काम कर चुके और ICICI के चीफ ह्यूमैन रिर्सोसेज ऑफिसर रहे एन रामकुमार बताते हैं कि चंदा में एक पूरी आर्मी संभालने की क्षमता है. बैंकिंग सेक्टर में चंदा कोचर की काबिलियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फॉर्च्यून पत्रिका चंदा कोचर को लगातार तीन सालों तक भारत की सबसे प्रभावशाली कारोबारी महिला का खिताब दे चुकी है.

ये है वीडियोकॉन ग्रुप के लोन का मामला

2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक ने लोन दिया था. जो एनपीए हो गया और बाद में इसे 'बैंक फ्रॉड' कहा गया. सितंबर 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था. दरअसल, 2012 में, चंदा कोचर के नेतृत्व में ICICI बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का लोन दिया और 6 महीने बाद वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली मेसर्स सुप्रीम एनर्जी ने मैसर्स न्यूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ का लोन दिया, जिसमें दीपक कोचर की 50% हिस्सेदारी है.

प्रधानमंत्री को लिखा गया था पत्र

ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था. इसमें दावा किया गया कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को ICICI बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी 'न्यूपावर' में अपना पैसा निवेश किया.

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