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महुआ मोइत्रा के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी में CBI, LS सचिवालय से मांगी एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट

यदि लोकसभा सचिवालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत आवश्यक मंजूरी हासिल करते हुए एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपता है, तो केंद्रीय जांच एजेंसी लोकपाल की मंजूरी के बिना सीधे महुआ मोइत्रा पर एफआईआर दर्ज कर सकती है.

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सीबीआई ने महुआ मोइत्रा मामले में एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट लोकसभा सचिवालय से मांगी है.
सीबीआई ने महुआ मोइत्रा मामले में एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट लोकसभा सचिवालय से मांगी है.

'कैश फॉर क्वेरी' मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. सीबीआई उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है. इस सिलसिले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने लोकसभा सचिवालय से एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट मांगी है. लोकपाल के निर्देशों के बाद सीबीआई पहले से ही मामले की 'जांच' कर रही है. बता दें कि महुआ मोइत्रा को 'पैसे लेकर सवाल पूछने' के आरोप में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. 

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सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा सचिवालय ने अभी तक एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट जांच एजेंसी को नहीं सौंपी है. गौरतलब है कि एथिक्स कमेटी पहले ही आरोपों की जांच की सिफारिश कर चुकी है. यदि लोकसभा सचिवालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत आवश्यक मंजूरी हासिल करते हुए एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपता है, तो केंद्रीय जांच एजेंसी लोकपाल की मंजूरी के बिना सीधे महुआ मोइत्रा पर एफआईआर दर्ज कर सकती है.

उम्मीद है कि सीबीआई भी अपनी जांच रिपोर्ट लोकपाल को सौंपेगी और अगर लोकपाल एजेंसी को आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश देता है तो वह मामले में एफआईआर दर्ज कर सकती है. बता दें कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट को, कि 8 दिसंबर 2023 को लोकसभा के पटल पर रखा गया था. इस पर बहस के बाद, स्पीकर ओम बिड़ला ने बताया कि एथिक्स कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में दोषी ठहराया है, इसलिए उन्हें लोकसभा से निष्कासित किया जाता है. हालांकि, टीएमसी नेता ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करती रही हैं.

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महुआ मोइत्रा का पूरा विवाद क्या है?

अपने निष्कासन के बाद, महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमिटी पर 'बिना सबूतों के कार्रवाई' करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एथिक्स कमिटी विपक्ष को कमजोर करने में सत्ता पक्ष का हथियार बन रहा है और हर नियम को तोड़ते हुए उनके खिलाफ रिपोर्ट दायर की है. यह पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा पर व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से 'नकद और उपहार के बदले में' संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया. भाजपा सांसद ने अपने आरोपों में सुप्रीम कोर्ट के वकील जय देहाद्राई के उस पत्र का हवाला दिया था, जिसमें मोइत्रा और हीरानंदानी के बीच कथित आदान-प्रदान के 'अकाट्य सबूत' का उल्लेख किया गया था.

इसके बाद हीरानंदानी ने एथिक्स कमिटी के समक्ष एक पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि महुआ मोइत्रा ने अपनी संसदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड उनके साथ साझा किया था ताकि वह 'उनकी ओर से प्रश्न अपलोड कर सकें'. बाद में, मोइत्रा ने इंडिया टुडे से विशेष बातचीत में हीरानंदानी को अपनी संसद लॉगिन आईडी और पासवर्ड देने की बात स्वीकार की थी. मोइत्रा 2 नवंबर को, एथिक्स कमिटी के सामने पेश हुईं, लेकिन पूछे गए सवालों पर आपत्ति जताते अन्य विपक्षी नेताओं के साथ बैठक से बाहर चली गईं. टीएमसी नेता ने एथिक्स कमिटी पर व्यक्तिगत सवाल पूछने के आरोप लगाए थे. 

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