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मणिपुर में हिंसा के पीछे किसकी साजिश? CBI ने जांच के लिए गठित की SIT

1 महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 100 लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले झड़पें हुईं, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए.

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मणिपुर हिंसा की जांच कर रही सीबीआई (File Photo)
मणिपुर हिंसा की जांच कर रही सीबीआई (File Photo)

मणिपुर में हिंसा के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ताजा मामला जातीय हिंसा प्रभावित इंफाल के एक गांव में शुक्रवार सामने आया, जहां तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. यहां सुरक्षाकर्मियों के वेश में आए उग्रवादियों के एक समूह ने तलाशी अभियान के बहाने लोगों को घरों के बाहर बुलाया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. यह घटना कांगपोकी और इंफाल पश्चिम जिलों की सीमा पर स्थित खोकेन गांव में हुई. अधिकारियों ने कहा कि माना जा रहा है कि उग्रवादी मेइती समुदाय से हैं.

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वहीं हिंसा से संबंधित छह मामलों की जांच के लिए सीबीआई ने एक डीआईजी-रैंक अधिकारी की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. पूर्वोत्तर राज्य की अपनी यात्रा के दौरान, गृह मंत्री अमित शाह ने छह एफआईआर की सीबीआई जांच की घोषणा की थी. 

मणिपुर दौरे के दौरान गृह मंत्री ने घोषणा की थी कि सभी पंजीकृत मामलों में से 5 चिह्नित मामलों सहित 6 मामलों और सामान्य साजिश के एक मामले की जांच सीबीआई की विशेष टीम द्वारा की जाएगी. इस बीच, पिछले 24 घंटे के दौरान. मणिपुर के इंफाल पूर्व, काकचिंग, टेंग्नौपाल और बिष्णुपुर जिलों में 57 हथियार, 1,588 गोला-बारूद और 23 बम बरामद किए गए हैं। अब तक कुल 953 हथियार, 13,351 गोला बारूद और विभिन्न प्रकार के 223 बम बरामद किए गए हैं.

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बता दें कि मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. एक महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 100 लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले झड़पें हुईं, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए.

गौरतलब है कि मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नागा और कुकी की संख्या 40 प्रतिशत है, जो पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं. राज्य में शांति बनाए रखने के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवानों को तैनात किया गया है.

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