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टेक्नोमैक कंपनी पर 1528 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप, सीबीआई ने दर्ज किया केस

बैंक ऑफ इंडिया ने 31 मार्च 2014 को कंपनी के खातों को एनपीए घोषित कर दिया. इसके बाद आरबीआई की सलाह पर बैंक ऑफ इंडिया ने मई 2015 में खाते को एनपीए से हटाया और फरवरी 2016 में इसे धोखाधड़ी घोषित किया.

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फाइल फोटो
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • कंपनी पर लोन खाते से रकम अन्य खातों में हस्तांतरित करने का आरोप
  • 31 मार्च 2014 को कंपनी के खातों को एनपीए किया गया घोषित

सीबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 16 बैंक के संघ से 1528 करोड़ रु से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड और उसके सीएमडी राकेश कुमार शर्मा और अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया है. कंपनी की हिमाचल प्रदेश में यूनिट है. सीबीआई ने आरोपियों के कांगड़ा और पांवटा साहिब स्थित विभिन्न परिसरों पर छापा मारा.

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आरोप है कि कंपनी लौह व अलौह धातुओं के निर्माण से जुड़ी है. कंपनी ने 2008-13 के दौरान बैंकों के संघ से क्रेडिट सुविधा हासिल की. आरोपियों ने बैंक से कथित धोखाधड़ी के मकसद से साजिश रची और ऋण खाते से रकम अन्य खातों में हस्तांतरित की. इससे बैंकों के संघ को 1528 करोड़ रु का नुकसान हुआ. बाद में भुगतान ना करने पर खाता एनपीए घोषित कर दिया गया. 

2016 में घोषित किया गया धोखाधड़ी

बैंक ऑफ इंडिया ने 31 मार्च 2014 को कंपनी के खातों को एनपीए घोषित कर दिया. इसके बाद आरबीआई की सलाह पर बैंक ऑफ इंडिया ने मई 2015 में खाते को एनपीए से हटाया और फरवरी 2016 में इसे धोखाधड़ी घोषित किया. 

कंपनी पर जिन 16 बैंकों के साथ धोखाधड़ी का मामला है, उनमें बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, एचडीएफसी बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सारस्वत को-ऑपरेटिव बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस शामिल हैं.

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