जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 12वें दिन भी सुनवाई जारी रही. इस दौरान संविधान पीठ के सामने सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि सरकार से निर्देश मिला है कि लद्दाख स्थाई रूप से केंद्र शासित रहेगा जबकि जम्मू कश्मीर अस्थाई रूप से ही मौजूदा स्थिति में रहेगा. लद्दाख में करगिल और लेह मे स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे. एसजी ने गृह मंत्री के लोकसभा में दिए गए जवाब का हवाला दिया.
इसमें अमित शाह ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार 31 अगस्त को जानकारी देगी. लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट कौंसिल के चुनाव हो चुके हैं. करगिल में 10 सितंबर में चुनाव होने हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से फिर तीन सवाल पूछे कि आखिर संसद को राज्य के टुकड़े करने और अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अधिकार किस कानूनी स्रोत से मिला? इस अधिकार स्रोत का दुरुपयोग नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है? तीसरा सवाल ये कि आखिर कब तक ये अस्थाई स्थिति रहेगी? चुनाव कराकर विधानसभा बहाली और संसद में प्रतिनिधित्व सहित अन्य व्यवस्था कब तक बहाल हो पाएगी? लोकतंत्र की बहाली और संरक्षण सबसे जरूरी है.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप कश्मीर के लिए सिर्फ इसी दलील के आधार पर ये सब नहीं कर सकते कि जम्मू कश्मीर सीमावर्ती राज्य है और यहां पड़ोसी देशों की कारस्तानी और सीमापर से आतंकी कार्रवाई होती रहती है. आप राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में राज्य का विभाजन और कब तक राष्ट्रपति शासन लगाए रख सकते हैं? किस अधिकार के तहत? ये कोर्ट को बताएं. सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमणी से पूछा कि एक अर्थ में वो करीब 70 साल पहले हुआ विलय पूरी संप्रभुता के साथ पूर्ण विलय नहीं था? 1950 से 2019 के बीच इन 69 वर्षों में क्या हुआ? इसके बाद 2019 में उठाया गया कदम एकता और अखंडता के नजरिए से कितना तार्किक था? आपका ये कहना है कि 26 जनवरी 1950 को जो स्वायत्तता के अस्तित्व में आई यानी एकता की शुरुआत हुई वो कवायद 5 अगस्त 2019 को पूरी हुई. इस बीच जो कुछ ही हुआ वो इस दूरी को पाटने वाला पुल था.
केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमणी ने कहा कि भले ही संविधान सभा अनिश्चितकाल के लिए भंग हो गयी हो लेकिन राष्ट्रपति के पास पर्याप्त अधिकार है जम्मू कश्मीर को लेकर कोई भी फैसला लेने का. अनुच्छेद 370 के मामले में 31 अगस्त गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट आगे सुनवाई करेगा. 31 अगस्त अटर्नी जनरल कोर्ट में अपना पक्ष रखी जारी रखेंगे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलें पूरी कीं.
370 अस्थाई इंतजाम था: अटॉर्नी जनरल
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इतिहास में गए बिना इस मुद्दे को समझना मुश्किल होगा. इस दौरान उन्होंने 1950 में हुए चुनाव में पूरण लाल लखनपाल को चुनाव लड़ने से रोकने की घटना का जिक्र भी किया कि आखिर क्यों उनके चुनाव लडने की राह में रोड़े अटके. रमणी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मायनों में राजनीतिक एकता और संवैधानिक एकता में कोई अंतर नहीं है. 370 अस्थाई इंतजाम था. वो इंतजाम अब अंत पर पहुंच गया है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर की संविधान सभा पूरी व्यवस्था का हिस्सा थी तो आप उसे संविधान के दायरे से बाहर कैसे कह सकते हैं. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर की संविधान सभा 1957 में मौजूद थी तो क्या विधान सभा सिफारिश कर सकती थी कि राज्य में जनता बुनियादी अधिकार नहीं होंगे?