अभी आप किसी होटल या रेस्टोरेंट में जाते हैं, तो बिल पर आपको सर्विस चार्ज देना होता है. ऐसे में केन्द्र सरकार ने बिल पर मनमाना सर्विस चार्ज वसूलने को लेकर लगाम लगाने की तैयारी की. इसे लेकर सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने नई गाइडलाइंस (Service Charge Guidelines) जारी की. पर मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया. होटल और रेस्टारेंट के संगठन ने HC में इसे चुनौती दी और सिंगल जज बेंच ने नई गाइडलाइंस लागू करने पर रोक लगा दी. अब सरकार ने एक जज की पीठ के इस फैसले को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में चुनौती दी है.
दिल्ली HC की सिंगल बेंच ने होटल रेस्टोरेंट फेडरेशन की याचिका पर सुनवाई के बाद नई गाइडलाइंस को लागू करने पर रोक लगाई थी. अब सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने हाई कोर्ट के इा आदेश को चुनौती दी है. मामले की सुनवाई 16 अगस्त को होने की उम्मीद है.
CCPA ने बनाए थे ये नए नियम
CCPA ने अपने आदेश में कहा था कि कोई भी रेस्टोरेंट अपने यहां आने वाले को ग्राहक को सेवाएं मुहैया कराने के नाम पर किसी तरह का सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकता. सीसीपीए ने सर्विस चार्ज को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार देते हुए ऐसे स्थानों पर स्वचालित रूप से या बिल में डिफॉल्ट रूप से सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगा दी थी. इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया कि होटल और रेस्टोरेंट में दिए जाने वाले खाने की कीमत में फूड और सर्विस पहले से ही शामिल होते हैं.
सामने आया था शताब्दी ट्रेन का मामला
दरअसल पिछले महीने 2 जुलाई को सर्विस चार्ज वसूले जाने से संबंधित एक अनोखा मामला सामने आया था, जो चर्चा का विषय बन गया. दिल्ली से भोपाल के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में सफर कर रहे एक यात्री ने अपने चाय के बिल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए बताया कि 20 रुपये की चाय के बिल पर 50 रुपये का सर्विस चार्ज वसूला गया. यानी यात्री को कुल मिलाकर 70 रुपये का भुगतान करना पड़ा था. इस पोस्ट के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आईआरसीटीसी की जमकर किरकिरी हुई थी.
ऐसे में सीसीपीए का ये आदेश काफी अहम माना जा रहा था, लेकिन होटल और रेस्टोरेंट फेडरेशन ने इसे दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती देकर स्टे ऑर्डर हासिल किया था.