राज्य की आबादी के हिसाब से हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका सुनवाई हुई. गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मामले में 24 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश का जवाब उसे मिला है. हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने को लेकर राज्य सरकारों का एकमत नहीं है. केंद्र ने कहा कि अधिकतर राज्यों ने अल्पसंख्यक का दर्जा देने का अधिकार राज्यों के पास रहने की बात कही है.
केंद्र ने कहा कि उत्तराखंड का सुझाव है कि राज्यों में जनसंख्या के आधार पर धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किया जाना चाहिए. वहीं UP सरकार ने जवाब में कहा है कि मामले में केंद्र जो भी फैसला लेगा, UP सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी. बंगाल सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि किसी वर्ग को अल्पसंख्यक घोषित करने की शक्ति राज्य सरकार के पास होनी चहिये.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि दिल्ली सरकार ने सुझाव दिया है कि हिंदू धर्म के मानने वालों को दिल्ली में अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त नहीं है. लेकिन हिंदू धर्म के ऐसे लोग हैं, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे राज्यों से पलायन कर दिल्ली में रह रहे हैं. उनको केंद्र सरकार 'प्रवासी अल्पसंख्यक' का दर्जा दे सकती है. अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर तथा लक्ष्यद्वीप के सुझाव का इंतज़ार है.