संसद की नई बिल्डिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भले ही सुनवाई चल रही हो और सरकार को लैंड यूज में बदलाव के आरोपों और नियमों की अनदेखी के बारे में सफाई देनी पड़ रही हो, लेकिन प्रोजेक्ट के मुताबिक ये तो तय है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में परिवहन भवन, श्रम शक्ति भवन सहित अन्य कई मंत्रालयों के मुख्यालय सबसे पहले टूटेंगे.
देखें- आजतक LIVE
इस प्रोजेक्ट के मुताबिक इन दोनों इमारतों पर सांसदों के दफ्तर बनेंगे.परिवहन भवन और श्रमशक्ति भवन एक ही प्लॉट पर बने हैं. पहले सांसदों के लिए अलग से ऑफिस नहीं था उनके निजी सहायक ही उनके चलते-फिरते दफ्तर हुआ करते हैं. या फिर सांसदों के आवास में दफ्तर होता है. नए संसद भवन में सांसदों के लिए भी अलग-अलग दफ्तर होंगे. जब ये दोनों इमारतें ध्वस्त हो जाएंगी तब यहां काम करने वाले करीब तीन हजार कर्मचारियों को कस्तूरबा गांधी मार्ग और अफ्रीका एवेन्यू पर स्थित कुछ इमारतों और अस्थाई तौर पर बनने वाली इमारतों में रहकर काम करना होगा.
ये शिफ्टिंग 2021 के आखिर तक होगी. जब 2023 के अंत तक राजपथ के आजू-बाजू सेंट्रल विस्टा की इमारतों के सभी दस ब्लॉक बन कर तैयार हो जाएंगे तब इनको वहां भेज दिया जाएगा. परियोजना के मुताबिक संसद मार्ग से एक भूमिगत मार्ग यानी सुरंग सांसदों के दफ्तर तक बनेगी. इसके जरिए सांसद पैदल भी अपने दफ्तर आ जा सकेंगे.
CPWD सूत्रों के मुताबिक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के प्लॉट पर तीन ब्लॉक्स बनाए जाएंगे. उसमें उद्योग भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन और शास्त्री भवन के दफ्तरों को शिफ्ट किया जाएगा. फिर इन चारों भवनों को तोड़कर नया निर्माण होगा.
सबसे आखिरी में स्टेट ऑफ आर्ट कही जाने वाली बेहद खूबसूरत और आलीशान इमारत यानी विदेश मंत्रालय के मुख्यालय जवाहर लाल नेहरू भवन का नम्बर आएगा. यानी ये इमारत भी गिराई तो जाएगी लेकिन सबसे आखिरी में. आपको बता दें ये इमारत दस साल पहले ही बनी है.