प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. अब पूर्व नौकरशाहों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठाए हैं. 69 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखकर सवाल उठाए हैं. अधिकारियों ने कहा है कि ऐसे समय में जब हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की आवश्यकता है. अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर चल रहा है. ऐसे समय में इस अनावश्यक परियोजना को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है.
इस खुले पत्र पर पूर्व आईएएस अधिकारी जौहर सरकार, जावेद उस्मानी, एनसी सक्सेना, अरुणा रॉय, हर्ष मंदर, राहुल खुल्लर, पूर्व आईपीएस अधिकारी एएस दुलत, अमिताभ माथुर और जूलियो रिबेरो ने हस्ताक्षर किए हैं. इस पत्र में कहा गया है कि जब अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण लाखों लोगों की बदहाली सामने आ गई है, सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं के स्थान पर नए संसद भवन की बेकार परियोजना पर निवेश का विकल्प चुना.
देखें: आजतक LIVE TV
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नौकरशाहों ने खुले पत्र में कहा है कि यह चिंता की बात है. इस परियोजना में शुरू से ही गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाने का आरोप लगाते हुए पूर्व नौकरशाहों ने पर्यावरण मंजूरी को लेकर भी सवाल उठाए हैं. पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि संसद भवन की आधारशिला रखने का हक नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति को है. प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं, विधायिका के नहीं.
नौकरशाहों ने आरोप लगाया है कि नए संसद भवन के निर्माण की दिशा में सरकार अनुचित तरीके से आगे बढ़ रही है. गौरतलब है कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नए संसद भवन, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए भवन, उपराष्ट्रपति के लिए एन्क्लेव, प्रधानमंत्री के लिए कार्यालय और आवास का निर्माण होना है. केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग के मुताबिक इस परियोजना पर 13450 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है.
इस परियोजना पर अनुमानित लागत पहले 11794 करोड़ बताई जा रही थी. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के 2022 तक पूरा हो जाने का अनुमान जताया जा रहा है. माना यह जा रहा है कि 2022 में ही देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं. आजादी के 75 साल पूरे होने पर संसद के सत्र नए भवन में चलेंगे.