scorecardresearch
 

सेंट्रल विस्टा परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज! निर्माण पर लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करने की मांग भी ठुकरा दी थी. याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने डीडीए के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें लैंड यूज बदलते हुए दफ्तर को प्रधानमंत्री आवास में बदल दिया था.

Advertisement
X
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर फैसला आज
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर फैसला आज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आपत्ति जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
  • सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर आना है फैसला
  • तीन जजों की बेंच देगी परियोजना पर फैसला

नई संसद, नया सचिवालय, नई इमारतें, नई पहचान. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर आपत्ति जताने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज मंगलवार को अपना फैसला सुनाने वाला है. कोर्ट ने लैंड यूज चेंज करने के इल्जाम की वजह से सेंट्रल विस्टा की वैधता पर सवाल खड़े करने वाली याचिका को फिलहाल लंबित रखा है. पहले ये फैसला आ जाए फिर वैधता वाली याचिका पर सुनवाई होगी. 

Advertisement

इस मसले पर जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच मंगलवार को सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाने वाली है.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करने की मांग भी ठुकरा दी थी. याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने डीडीए के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें लैंड यूज बदलते हुए दफ्तर को प्रधानमंत्री आवास में बदल दिया था.
 
सात दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ गिराने या स्थानांतरित करने का काम ना हो. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि ये प्रोजेक्ट कानून के मुताबिक है या नहीं? इस पर रोक लगाई जाए या नहीं?

Advertisement

वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 20 हजार करोड़ रुपये का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पैसे की बर्बादी नहीं है, बल्कि इससे धन की बचत होगी. इस प्रोजेक्ट से सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, जो फिलहाल दस इमारतों में चल रहे मंत्रालयों के किराये पर खर्च होते हैं. साथ ही इस प्रोजेक्ट से मंत्रालयों के बीच समन्वय में भी सुधार होगा. 

देखें: आजतक LIVE TV

जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वर्तमान संसद भवन गंभीर आग की आशंका और जगह की भारी कमी का सामना कर रहा था. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत हैरिटेज बिल्डिंग को संरक्षित किया जाएगा. मेहता ने कहा कि मौजूदा संसद भवन 1927 में बना था जिसका उद्देश्य विधान परिषद के भवन का निर्माण था न कि दो सदन का था. उन्होंने कहा कि जब लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र आयोजित होता है, तो सदस्य प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठते हैं. इससे सदन की गरिमा कम होती है.

जस्टिस खानविलकर ने कहा कि नए संसद भवन की समय-सीमा 2022 है. उन्होंने कहा कि संसद का स्वामित्व लोकसभा सचिवालय के पास रहेगा. कई लोकसभा अध्यक्षों के अलावा अन्य लोगों ने यह संकेत दिया था कि वर्तमान संरचना अपर्याप्त है. मेहता ने यह भी कहा कि नई संसद होनी चाहिए या नहीं, यह एक नीतिगत निर्णय है, जो सरकार को लेना होता है.

Advertisement

दरअसल, केंद्र द्वारा विस्टा के पुनर्विकास योजना के बारे में भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. केंद्र की ये योजना 20 हजार करोड़ रुपये की है. 20 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया था. 


 

Advertisement
Advertisement