Pay hike in 8th commission: केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग की घोषणा कर दी है. सरकार का ये फैसला 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए गुड न्यूज लेकर आया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का असर दिल्ली में रह रहे 4 लाख केंद्रीय कर्मचारियों पर भी पड़ेगा.
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आठवें वेतन आयोग पर कैबिनेट के फैसले से केंद्रीय कर्मचारियों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा.
केंद्र सरकार का ये फैसला 1 जनवरी 2026 से लागू होगा. अब इस फैसले से प्रभावित होने वाले सरकारी बाबू ये जानना चाहते हैं कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उनके वेतन में कितना इजाफा होगा.
गौरतलब है कि अभी केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतन मिल रहा है. ये सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू है, इसकी अवधि दिसंबर 2025 तक है.
कितनी सैलरी बढ़ेगी आयोग कैसे तय करता है?
वेतन आयोग एक हाई लेवल कमेटी होती है. इसमें वेतन, वित्त, इकोनॉमी, मानव संसाधन के एक्सपर्ट होते हैं. वेतन आयोग कर्मचारियों का वेतन और सेवा निवृत कर्मचारियों का पेंशन तय करने के लिए कई पहलुओं पर गौर करता है. इनमें महंगाई, देश की आर्थिक स्थिति सबसे अहम फैक्टर होते हैं.
सातवें वेतन आयोग के दस्तावेज कहते हैं कि इस आयोग के समक्ष वास्तविक चुनौती एक ऐसा वेतन ढांचा प्रदान करना है जो:
प्रतिस्पर्धी होते हुए भी वहन करने योग्य हो,
आकर्षक होते हुए भी स्वीकार्य हो,
दूरदर्शी होते हुए भी अनुकूल हो,
सरल होते हुए भी तर्कसंगत हो,
इसके अलावा वेतन ढांचा देना जो वर्तमान सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों की बदलती धारणा से मेल खाता हो.
एक 'तर्कसंगत' और 'उचित सैलरी' लेवल तक पहुंचने के लिए वेतन आयोग महंगाई दर, इकोनॉमी की स्थिति, बाजार के वेतन और कर्मचारियों के परफॉर्मेंस पर गौर करता है.
वेतन आयोग तनख्वाह बढ़ाने के अलावा पेंशन, भत्ते (महंगाई, आवास, परिवहन, मेडिकल), काम की परिस्थितियों में सुधार, कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग की भी सिफारिशें करता है. केंद्र सरकार वेतन, भत्ते पर वेतन आयोग की सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है बल्कि सरकार वित्तीय सेहत, राजकोषीय स्थिति और महंगाई पर विचार करने के बाद सिफारिशों को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से मान सकती है.
इस बार कितनी बढ़ोतरी की उम्मीद करे कर्मचारी?
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को देखें तो इसके तहत फिटमेंट फैक्टर को 2.57 रखा गया था. इसका अर्थ यह है कि कर्मचारियों की बेसिक तनख्वाह पिछले बेसिक तनख्वाह का 2.27 गुना बढ़ेगी. इन सिफारिशों पर अमल के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनत्तम बेसिक सैलरी जो कि पहले 7000 हजार थी बढ़कर 18000 (7000x2.57) रुपये हो गई.
इसी तरह न्यूनत्तम पेंशन भी 3500 से बढ़कर 9000 (3500x2.57) रुपये हो गई.
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद अधिकतम सैलरी 2.5 लाख और अधिकतम पेंशन 1.25 लाख रुपये तक पहुंच गई.
अब आठवें वेतन आयोग की बात करते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि 8वें वेतन आयोग के तहत वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर को 2.28 से 2.86 तक रख सकता है. अगर ऐसी सिफारिश हुई और केंद्र ने इन सिफारिशों पर अमल किया तो केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 18 हजार से बढ़कर 41000 से 51480 रुपये के बीच तक पहुंच सकती है. अगर ऐसा हुआ तो ये सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बंपर इजाफा होगा.
इसी अनुपात में आठवें वेतन आयोग का फायदा पेंशनर्स को भी मिल सकता है. इस आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद 9000 रुपये की न्यूनतम पेंशन बढ़कर 25,740 हो जाएगी.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट और फॉक्स मंडल एंड एसोसिएट्स एलएलपी के पार्टनर सुमित धर ने ईटी को बताया कि अगर सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग में 2.86 का फिटमेंट फैक्टर मंजूर कर दिया जाता है तो सरकारी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन और पेंशन में 186 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. इस तरह से कर्मचारियों के वेतन में लगभग200 फीसदी का इजाफा हो सकता है.
अब हम आपको बताते हैं कि ये फिटमेंट फैक्टर होता क्या है?
दरअसल फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में सुधार करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक फॉर्मूला है. इसका मकसद स्टाफ की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना और महंगाई के बढ़ते स्तर के साथ उसकी क्रय शक्ति को बनाए रखना है. इसे हर वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है और समय-समय पर इसमें बदलाव किए जाते हैं.
फिटमेंट सेक्टर का असर कर्मचारियों की सैलरी और रिटायर्ड कर्मचारियों के पेंशन पर बढ़ता है. इससे कर्मचारियों को महंगाई के साथ संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है. यही वजह है कि कर्मचारी संघ समय समय पर फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाने की मांग करते रहते हैं. इस बार कर्मचारी संघ फिटमेंट फैक्टर को 3 से ज्यादा रखने की मांग कर रहे हैं.
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कब से लागू होंगी
केंद्र सरकार 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू करने का फैसला कर सकती है. हालांकि ऐसा तय नहीं है.
कब बढ़ा कितना पैसा?
अब हम आपको बताते हैं कि आजादी के बाद से कब कब केंद्र ने वित्त आयोग का गठन किया है और सैलरी में कितनी बढ़ोतरी की है.
पहले वेतन आयोग का गठन 1946 में किया गया था तब केंद्र सरकार में नौकरी करने वालों की न्यूनतम तनख्वाह 55 रुपये और अधिकतम 2000 रुपये तय की गई थी. इसका फायदा 15 लाख कर्मचारियों को मिला था. अन्य वेतन आयोग से कर्मचारियों को हुए फायदे की डिटेल इस प्रकार है.
वेतन आयोग | न्यूनतम बेसिक वेतन (रु) | अधिकतम बेसिक वेतन(रु) | कब लागू हुआ | कुल लाभुक |
---|---|---|---|---|
पहला | 55 | 2000 | 1946 | 15 लाख |
दूसरा | 80 | 3000 | 1957 | 25 लाख |
तीसरा | 185 | 3200 | 1973 | 30 लाख |
चौथा | 750 | 8000 | 1986 | 35 लाख |
पांचवां | 2550 | 30000 | 1996 | 40 लाख |
छठा | 7000 | 90000 | 2006 | 60 लाख |
सातवां | 18000 | 250000 | 2016 | 1 करोड़ |
अब 2025 में केंद्र ने 8वें वेतन आयोग का गठन करने का फैसला किया है. गौरतलब है कि ऊपर दिये गए आंकड़े सिर्फ बेसिक सैलरी के हैं. वेतन आयोग मूल वेतन के अलावा महंगाई, मेडिकल, आवास और परिवहन भत्ता तय करता है. इनको और सरकार की ओर से मिलने वाली दूसरी सुविधाओं को मूल वेतन में जोड़ने पर कर्मचारी का वेतन लगभग दोगुना हो जाता है.
वेतन आयोग की सिफारिशें इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी को आधार पर बनाकर राज्य सरकारें वेतन कमीशन की सिफारिशें अपने यहां लागू करती हैं. हालांकि राज्य सरकारें अपने वित्तीय हालात के आधार पर इसमें कांट-छांट भी कर सकती हैं.