जम्मू-कश्मीर के बाद अब केंद्र सरकार लद्दाख के नेताओं के साथ बातचीत करने जा रही है. इसके लिए सरकार ने विभिन्न राजनैतिक दलों को न्योता भेजा है. यह बैठक एक जुलाई को होगी. इससे पहले, 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली स्थित आवास पर जम्मू-कश्मीर के विभिन्न नेताओं के साथ बैठक हुई थी.
एक जुलाई को लद्दाख के राजनैतिक दलों की बुलाई गई बैठक के बारे में करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने पुष्टि की है कि उसे न्योता मिल गया है. नई दिल्ली में होने वाली इस बैठक के लिए लेह एपेक्स बॉडी को भी आमंत्रित किया गया है. अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का फैसला लिया था.
साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित कर दिया गया था. आर्टिकल-370 को हटाने के बाद पहली बार केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नेताओं के साथ बड़े स्तर पर बातचीत कर रही है. करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने मांग की है कि आर्टिकल-370 और 35-ए की बहाली की जाए. साथ ही, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए.
जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ पिछले दिनों हुई बैठक में कई पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हुए थे. बैठक में पीडीपी प्रमुख महबूबा मु्फ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद समेत कई अन्य नेताओं के साथ पीएम मोदी ने बातचीत की थी.
सर्वदलीय बैठक के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा था कि हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत एक मेज पर बैठने और विचारों का आदान-प्रदान करने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा है कि लोगों को, खासकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हों. पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा था कि वे 'दिल की दूरी' और 'दिल्ली की दूरी' को खत्म करना चाहते हैं.
उधर, बैठक के बाद इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर में विश्वास बहाली पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक खुली जेल बन गया है, जिसकी वजह से लोग अपने घरों के भीतर भी फुसफुसाते हैं, क्योंकि वे डरे हुए हैं.