पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार में जारी रार अभी खत्म नहीं हुई है. केंद्र सरकार द्वारा अब बंगाल के पूर्व चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय को नोटिस भेजा गया है. साइक्लोन यास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में जाकर बैठक की थी, अलपन उस मीटिंग में नहीं पहुंचे थे. अब केंद्र सरकार ने तीन दिन में उनसे बैठक में शामिल ना होने का कारण मांगा है.
केंद्र सरकार द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के सेक्शन 51 (B) का इस्तेमाल किया गया है. नोटिस में अलपन बंदोपाध्याय से पूछा गया है कि उनके खिलाफ एक्शन क्यों ना लिया जाए, इसका कारण तीन दिनों में बताएं.
केंद्र द्वारा भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कलाइकुंडा में रिव्यू मीटिंग के दौरान 15 मिनट तक इंतजार करते रहे, उसके बाद चीफ सेक्रेटरी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाजिर हुए. अब तमाम वजहों के पीछे का कारण पूछा गया है.
बंगाल सरकार और केंद्र में तकरार
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री की मीटिंग में ना आने के बाद केंद्र ने पहले ही अलपन बंदोपाध्याय पर कड़ा रुख अपनाया. पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने अलपन को दिल्ली तलब किया था, लेकिन ममता बनर्जी ने उन्हें दिल्ली नहीं भेजा. अब ममता बनर्जी ने उन्हें चीफ सेक्रेटरी के पद से हटाकर अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया.
हालांकि, अभी भी केंद्र सरकार के पास ताकत है कि वह इस मामले में अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ एक्शन ले सकती है. अलपन को मंगलवार को भी नॉर्थ ब्लॉक में रिपोर्ट करने को कहा गया था, जो उन्होंने नहीं किया.
एक तरफ केंद्र सरकार एक्शन लेने में टिकी है, तो वहीं ममता बनर्जी भी अपने तेवर नरम नहीं कर रही हैं. बीते दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, राज्य सरकार के कामकाज में दखल देने और संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.