मोदी सरकार द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही इसे खत्म करने के लिए विधेयक को सूचीबद्ध किया गया है. इसे सत्र के पहले दिन ही पारित किया जाएगा.
किसानों को भरोसा देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपने वादे को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 नवंबर (बुधवार) को इसे वापस लेने की मंजूरी दे दी है.
पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर बैठक हुई जिसमें यह फैसला लिया गया. हमारे सहयोगी चैनल इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केवल एक व्यापक 'विधेयक" लाया जा सकता है.
माना जा रहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के साथ परामर्श करने के बाद इस विधेयक को अंतिम रूप दिया है. वहीं दूसरी तरफ कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले के बाद भी किसान अपने आंदोलन पर डटे हुए हैं.
किसानों की अभी भी सरकार से कुछ मांगें हैं जिनको लेकर वो आंदोलन खत्म करने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं. किसान नेता राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि आखिर किसान आंदोलन कब खत्म होगा तो उन्होंने सरकार के सामने कई मांगे रख दी.
टिकैत ने कहा, ठीक है आंदोलन खत्म हो जाना चाहिए लेकिन 2 -3 चीजें है, जो 700 से ज्यादा किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं उन्हें सरकार मुआवजा दे और उनका स्मारक बनाने के लिए जमीन मुहैया कराए. इतना ही नहीं किसान एमएसपी की गारंटी पर कानून और किसानों पर दर्ज किए गए केस को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
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