वक्फ संशोधन बिल को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की आखिरी बैठक गुरुवार को हुई. इस दौरान अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से चर्चा समाप्त करने के लिए अपने सुझाव देने के लिये कहा.
हालांकि, आज की बैठक में विपक्षी दलों के सांसदों ने जेपीसी का समय बढ़ाने की मांग की. अपनी इस मांग को लेकर अब विपक्षी दल के सांसद सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष से मिलेंगे.
'सभी से विस्तृत चर्चा और विमर्श'
इस बीच सत्ता पक्ष के सांसदों ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने की किसी भी जरूरत से इनकार कर दिया. बैठक में चेयरमैन जगदंबिका पाल ने समय पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम होने का भरोसा जताया. सत्ता पक्ष का मानना है कि वक्फ बिल समिति ने सभी स्टेक होल्डर से विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श किया है.
'अध्यक्ष से मिलने के लिए स्वतंत्र'
जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने कहा,'हमारी रिपोर्ट तैयार है और हम इस पर क्लॉज-बाय-क्लॉज चर्चा करेंगे. विपक्ष भी यही कह रहा था (जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग). कोई भी सदस्य या विपक्ष अध्यक्ष से मिलने के लिए स्वतंत्र है. वे (विपक्ष) जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.'
कम हो जाएंगी अनियंत्रित शक्तियां
दरअसल, कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. संसद में संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी. बता दें कि बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन आधिपत्य घोषित भी नहीं कर सकेगा.
पावरफुल लोगों का वक्फ पर कब्जा
बता दें कि 2013 में यूपीए की सरकार में वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ा दिया गया था. आम मुस्लिम, गरीब मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चे, शिया और बोहरा जैसे समुदाय लंबे समय से कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे. इन लोगों का कहना था कि वक्फ में आज आम मुसलमानों की जगह ही नहीं है. सिर्फ पावरफुल लोग हैं. रेवन्यू पर सवाल है. कितना रेवन्यू आता है, इसका कोई आकलन नहीं करने देता.