चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) में लापरवाही का मामला सामने आया है. आरोप है कि GMCH में 2016 से 2021 तक हजारों नवजातों और गर्भवती महिलाओं पर एक्सपायर टेस्ट किट का इस्तेमाल किया गया. यह घोटाला कोविड महामारी के दौरान तब सामने आया जब अस्पताल बंद होने के बावजूद अतिरिक्त किट की मांग की गई.
किट के इस्तेमाल को लेकर आरटीआई में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. आरटीआई के मुताबिक, एक्सपायर किट से 45,056 टेस्ट किए गए. GMCH में 8736 गर्भवती महिलाओं और 36,330 नवजातों पर एक्सपायर किट का इस्तेमाल किया गया. बताया जा रहा है कि हर किट से करीब 90 टेस्ट किए गए. वहीं, अस्पताल प्रशासन इस मामले में जांच टाल रहा है. उधर, चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिव ने किट को लेकर पूरा रिकॉर्ड मांगा है.
इतना ही नहीं लापरवाही का आलम ये रहा कि नवजात पर भी एक्सपायर किट का इस्तेमाल किया जाता रहा. बताया जा रहा है कि नवजात बच्चों पर 17600 G6PD, 18720 CAH टेस्ट किए गए. चौंकाने वाली बात ये है कि जान को खतरे में डालने वाले इन टेस्ट के लिए भी भुगतान किया गया.
हालांकि, अभी यह जानकारी नहीं मिली है कि गलत किट से टेस्ट के बाद कितने लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि, चंडीगढ़ में जिन मरीजों पर ये किट इस्तेमाल की गई, वे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से थे.
इन टेस्ट किट का इस्तेमाल डाउन सिंड्रोम के अलावा गर्भवती महिलाओं में क्रोमोसोमल और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की जांच के लिए किया गया था. नवजातों में ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी और हाइपरप्लासिया समेत तीन बीमारियों की जांच में इसका इस्तेमाल किया गया.
कॉलेज प्रशासन ने भी आरटीआई के जवाब में एक्सपायर किट के इस्तेमाल की बात को स्वीकार किया. हालांकि, प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि इस मामले में दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. मामला में जांच चल रही है.
कैसे खुली पोल?
दरअसल कोरोना महामारी के दौरान जब अस्पताल बंद थे तो चंडीगढ़ के इस विवादित अस्पताल के जेनेटिक्स विभाग द्वारा धड़ाधड़ जांच किटस की मांग की जा रही थी. 2021 में विभाग का चार्ज संभाल रही डॉ अलका को जब इसका पता चला तो उनका माथा ठनका क्योंकि अस्पताल बंद था. आखिर जब मरीज ही नहीं थे तो फिर किस के लिए महंगी किटस मंगवाई जा रही थी.
तत्कालीन जेनेटिक्स विभागाध्यक्ष ने जानकारी अधिकारियों को दी. उसके बाद खराब किटस का इस्तेमाल बंद कर दिया गया, लेकिन मामले को दबाने की कोशिश की गई क्योंकि पूरा मामला विदेशों से महंगे दामों पर आयात की गई किटस से जुड़ा था.
जांच ना हो पाने की वजह से 9400 गर्भवती महिलाएं हुई प्रभावित
केवल एक्सपायर्ड टेस्ट किट्स की वजह से ही नहीं बल्कि जीएमसीएच का जेनेटिक्स सेंटर 2016-17 के दौरान 9 महीने तक किटस उपलब्ध न होने के कारण भी सुर्खियों में रहा है. जून 2016 से फरवरी 2017 के बीच टेस्ट किट ना मिलने से करीब 9,400 गर्भवती महिलाओं के टेस्ट ही नहीं हुए थे.
आरोप है कि जेनेटिक सेंटर ने किट्स उपलब्ध ना होने की बात कहकर हजारों गर्भवती महिलाओं को बिना जांच के ही वापिस भेज दिया था. उसका परिणाम यह हुआ कि उस दौरान पैदा हुए सात बच्चों में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट पाया गया था.