ChatGPT निर्माता OpenAI के खिलाफ ANI द्वारा दायर कॉपीराइट उल्लंघन मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने कहा कि अदालत को इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान, एमिकस ने तर्क दिया कि ChatGPT भारत में यूजर्स के लिए सुलभ है और ऐसे यूजर्स भी हैं, जो इस सर्विस का उपयोग करने के लिए पेमेंट करते हैं.
एमिकस डॉ. अरुल जॉर्ज स्कारिया ने कहा, "मामला उनके बिजनेस के आधार पर शुरू किया जा सकता है. इस मामले में, वादी यहां अपना बिजनेस कर रहा है, इसलिए धारा 62 के तहत, कोर्ट के पास क्षेत्राधिकार होगा."
स्कारिया ने आगे कहा कि ChatGPT ने 'इंटरैक्टिव सर्विस' प्रदान की, इस प्रकार CPC (सिविल प्रक्रिया संहिता) के तहत क्षेत्राधिकार मानदंडों को पूरा किया. एमिकस ने तर्क दिया कि OpenAI के सर्वर विदेश में स्थित हैं, लेकिन इसकी सर्विसेज उपलब्ध हैं और दिल्ली से उनका मूल्यांकन किया जा सकता है.
ANI ने क्या आरोप लगाया है?
पिछले साल, ANI ने OpenAI के खिलाफ कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इसने समाचार एजेंसी के कॉपीराइट किए गए कार्यों का उपयोग करके ChatGPT को प्रशिक्षित किया था. अमेरिका स्थित AI ऑर्गनाइजेशन ने आरोप लगाया कि कोर्ट के पास मामले की सुनवाई करने का क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं है.
एमिकस ने क्या कहा?
डॉ. स्कारिया ने कहा कि कॉपीराइट कंटेंट का उपयोग दो तरीकों से किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि गैर-अभिव्यक्तिपूर्ण उपयोग (किसी के काम का बिना किसी रचनात्मकता को जोड़े उपयोग करना) कॉपीराइट कानून के दायरे से बाहर है.
उन्होंने आगे कहा, "एक तो मैं किताब पढ़ सकता हूं और उसका प्रसंग दे सकता हूं. अगला है कंटेंट का उपयोग करना और फिर डेटा का एनालिसिस करना. हम पाते हैं कि इस तरह के उपयोग कॉपीराइट कानून के बाहर हैं. अगर हम इन्हें अन्यथा लाते हैं, तो हमें कॉपीराइट कानून के दायरे का विस्तार करना होगा."
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Open AI का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट ने कहा कि इसके सभी उपयोग नॉन-एक्सप्रेसिव थे. OpenAI ने कहा, "हम श्रेय देते हैं. तमाम बड़े भाषा मॉडल खुद को अलग-अलग तरीके से प्रशिक्षित करते हैं. याद रखना ऐसा कुछ नहीं है, जो हमारा मॉडल करता है."
एमिकस ने कहा कि ज्यादातर, Open AI एएनआई के कंटेंट का उपयोग नॉन-एक्सप्रेसिव तरीके से कर रहा था. उन्होंने कहा कि वादी (ANI) ने ऐसे उदाहरण भी दिखाए हैं, जहां कंटेंट में 90 फीसदी समानता हो सकती है."