मध्य प्रदेश के श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए 8 चीते धीरे-धीरे यहां के परिवेश में ढलना सीख रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को खुद इन चीतों को विशेष तौर पर बनाए गए बाड़े में छोड़ा. बाड़ों में छोड़े जाने के तुरंत बाद चीतों को थोड़ा नर्वस देखा गया. लेकिन रविवार को इनकी हिचक कम होती देखी गई. ये रविवार को बाड़े में चहलकदमी करते पाए गए.
कूना नेशनल पार्क के विशेष बाड़े में रह रहे आठों चीते एकदम फिट हैं. इनमें पांच मादा और तीन नर हैं, जिनके नाम ओबान, फ्रेडी, सावन्नाह, आशा, सिबली, सैसा और साशा हैं. इन चीतों की गतिविधियों पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि अभी भी ये चीते नए परिवेश में पूरी तरह ढले नहीं हैं, ये नए परिवेश को भांप ही रहे हैं.
फिलहाल इन चीतों को 12 किमी के क्षेत्र में तैयार किए गए बाड़े में रखा गया है. जब सभी मादा और नर चीता आपस में घुल मिल जाएंगे तब उन्हें बाड़े से बाहर छोड़ा जाएगा. चीते झुंड में रहना पसंद करते हैं.
भारत और नामीबिया के पशु चिकित्सक और एक्सपर्ट्स इन बाड़ों में चीतों पर करीब से नजर रखे हुए हैं. इस दौरान इन्हें खाने के लिए भैंस का मांस दिया जाएगा. इन्हें एक महीने तक इस विशेष बाड़े में रखा जाएगा. इसके बाद इन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा.
तीन दिन में एक बार खाना खाते हैं
केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा कहते हैं कि ये चीते तीन दिन में एक बार खाना खाते हैं. दो दिन पहले भारत के लिए नामीबिया से रवाना होने से पहले इन्हें भैंस का मीट दिया गया था. आज इन्हें खाने को दिया जाएगा. फिलहाल ये चीते एकदम फिट हैं.
निदेशक ने कहा, हमने इन चीतों को नए नाम नहीं दिए हैं. अभी हम इस बारे में नहीं सोच रहे हैं. इन्हें नामीबिया में ही नाम दिए गए थे. इन चीतों की उम्र 3 से 66 महीने के बीच है.
बता दें कि इससे पहले बोइंग 747 विमान से इन चीतों को ग्वालियर एयरबेस लाया गया. इसके बाद वहां से इन चीतों को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर्स से कानू पार्क से 165 किलोमीटर दूर पालपुर लाया गया.
1952 में चीते विलुप्त घोषित
बता दें कि देश में आखिरी चीते की मौजूदा छत्तीसगढ़ में 1947 में मौत हो गई थी. इसके बाद 1952 में चीतों को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.
यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की सरकार के दौरान 2009 में चीतों को भारत लाने के लिए विशेष प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. चीतों को पिछले साल नवंबर तक कूना नेशनल पार्क लाना था लेकिन कोरोना की वजह से इस योजना को झटका लगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने चीतों को कूना नेशनल पार्क में छोड़े जाने के बाद अपने संबोधन में कहा कि चीतों को नए माहौल में एडजस्ट करने के लिए कुछ समय चाहिए. चीते हमारे मेहमान हैं. कूनो नेशनल पार्क को अपना घर बनाने के लिए हमें उन्हें कुछ महीनों का समय देना चाहिए.