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Chess Olympiad Hordings Row: पोस्टर में CM के साथ PM और राष्ट्रपति की फोटो नहीं लगाने पर मद्रास HC की तमिलनाडु सरकार को फटकार

मदुरै हाई कोर्ट से याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु सरकार को विज्ञापनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें शामिल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए आदेश दिया है कि विज्ञापनों में दोनों शीर्ष नेताओं की फोटो को जगह दी जाए. 

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चेन्नई हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
चेन्नई हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु सरकार को 44वें शतरंज ओलंपियाड के पोस्टर और होर्डिंग में सीएम स्टालिन के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की फोटो नहीं लगाने पर फटकार लगाई है. मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एस अनंती की बेंच ने इन दोनों की फोटो नहीं लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए गए कारणों को खारिज कर दिया. 

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कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय हित और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर विचार करते हुए यह यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भले ही राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे गणमान्य व्यक्ति किसी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए निमंत्रण स्वीकार करते हैं या नहीं, विज्ञापनों में उनकी तस्वीरें होनी चाहिए क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. 

पीठ ने मदुरै निवासी आर. राजेश कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करने के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में 28 जुलाई से 10 अगस्त तक मामल्लापुरम में होने वाले 44वें शतरंज ओलंपियाड के सभी विज्ञापनों में केवल राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर के इस्तेमाल को अवैध, मनमाना और कई मामलों में शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करार दिया था.  

राज्य सरकार ने कोर्ट के सामने रखी अपनी बात 

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राज्य सरकार के महाधिवक्ता आर षणमुगसुंदरम ने बताया कि जब राज्य सरकार टूर्नामेंट के आयोजन और मीडिया में विज्ञापन देने का काम कर रही थी, उस दौरान राष्ट्रपति चुनाव संपन्न नहीं हुए थे, इसलिए वे राष्ट्रपति की फोटो होर्डिंग में शामिल नहीं कर सके. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जहां तक ​​प्रधानमंत्री की फोटो का सवाल है तो समारोह के उद्घाटन की सहमति 22 जुलाई को ही दी गई थी. सभी विज्ञापनों में प्रधानमंत्री की सहमति के अनुसार, उनकी तस्वीर प्रकाशित की जाती है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और इस तरह के गैर-प्रकाशन के पीछे कोई गलत मंशा नहीं है. इसलिए रिट याचिका को खारिज किया जाना चाहिए. 

अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम से जुड़ा है मामला 

उच्च न्यायालय के जजों ने कहा कि जब हमारा देश इस तरह के एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी कर रहा है, तो यह सुनिश्चित करना सभी का कर्तव्य है कि इस तरह के समारोह को कुशलतापूर्वक आयोजित किया जाए और हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अमिट छाप छोड़ दें. इसलिए राष्ट्र की छवि सभी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चिंता का विषय होनी चाहिए और देश का प्रतिनिधित्व भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में होगा.  

'राज्य सरकार का बहाना स्वीकार नहीं' 

राज्य सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव नहीं हुए थे, इसलिए बैनर पर राष्ट्रपति की फोटो नहीं लगाई गई थी, इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये बैनर, होर्डिंग राष्ट्रपति चुनाव के रिजल्ट के बाद भी जारी किए गए थे. इसी तरह प्रधानमंत्री की फोटो नहीं छपवाने का 'बहाना' भी स्वीकार्य नहीं है क्योंकि उनकी तस्वीर को प्रकाशित करना जरूरी था, भले ही वह कार्यक्रम का उद्घाटन नहीं कर सकें. जजों ने कहा कि ध्यान देने योग्य बात है कि संसद सत्र के बावजूद प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस आयोजन के महत्व को देखते हुए समारोह का उद्घाटन करने का फैसला किया. 

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