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आखिर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने क्यों कहा, ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भारतीय रेल की शान’

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक ऐसा समय आया जब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई के ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ को भारतीय रेल की शान बताया. जानें यहां...

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विश्न विरासत स्थल छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (Photo:PTI)
विश्न विरासत स्थल छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (Photo:PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है मुंबई का CST स्टेशन
  • समझाया निजीकरण-एसेट मोनेटाइजेशन का फर्क

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक ऐसा समय आया जब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई के ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ को भारतीय रेल की शान बताया. 

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‘यूनेस्को साइट है CST स्टेशन’

राज्यसभा में नामित सदस्य संभाजी छत्रपति ने शुक्रवार को मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) के री-डेवलपमेंट से जुड़ा प्रश्न पूछा. उन्होंने कहा कि इस स्टेशन को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है तो इसके री-डेवलपमेंट में इसके हेरिटेज को कैसे सुरक्षित रख रहे हैं.

‘CST भारतीय रेल की शान’

इस पर रेल मंत्री ने जवाब दिया कि हम जहां भी स्टेशन का री-डेवलपमेंट कर रहे हैं. वहां लोकल कल्चर को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. बल्कि हेरिटेज एक्सपर्ट के साथ मिलकर हेरिटेज का संरक्षण कर रहे हैं. CST तो भारतीय रेल की शान है उसके हेरिटेज को छूने का सवाल ही नहीं होता.

‘ये है एसेट मोनेटाइजेशन’

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि CST के री-डेवलपमेंट में हम यात्री सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दे हैं. जैसे कि पीक आवर में वहां हजारों लोग एक साथ आते और जाते हैं ऐसे में आने और जाने वालों के लिए स्टेशन पर अलग-अलग व्यवस्था हो इसे विकसित किया जा रहा है. ऐसा एक स्टेशन हमने हबीबगंज विकसित किया है.

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इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रेलवे के निजीकरण से जुड़ा सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि रेलवे मंत्री कह रहे हैं कि वो रेलवे का निजीकरण नहीं करेंगे लेकिन एसेट मोनेटाइजेशन करेंगे. इसमें वह डेटिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, रेलवे कॉलोनी और प्लेटफॉर्म सब प्राइवेट सेक्टर को दे रहे हैं. इस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने जवाब दिया कि निजीकरण में संपत्ति पर रेलवे का अधिकार नहीं रहता है जबकि एसेट मोनेटाइजेशन में मालिकाना हक हमारे पास ही रहता है. इसलिए रेलवे के बुनियादी ढांचे का निजीकरण नहीं किया जा रहा है. रही बात डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की तो इस पर रेलवे का अधिकार नहीं है. DFCCIL इसे अलग से विकसित कर रही है और रेलवे इसमें मदद कर रही है.

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