स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एनवी रमना ने संसद की कार्यवाही पर चिंता जताई है. उन्होंने संसद की कार्यवाही में होने वाले हंगामों का जिक्र कर इस बात पर खेद जताया कि कानून पास करते वक्त उचित बहस नहीं होती. ध्वजारोहण समारोह कार्यक्रम में शामिल हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि बहस ना होने की वजह से कई ऐसे कानून भी पास हुए जिनमें कुछ कमियां थीं.
कार्यक्रम में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, 'कानून पास करते वक्त संसद में उचित बहस की कमी दिखती है. कानूनों पर बहस ना होने की वजह से भी कोर्ट तक आने वाले मामले बढ़ते हैं. बिना बहस के किसी भी नए कानून के बारे में थाह नहीं ली जा सकती. उसका इरादा और विषयवस्तु पता नहीं चल सकती.'
#WATCH | CJI Ramana says, "If you see debates which used to take place in Houses in those days, they used to be very wise, constructive...Now, sorry state of affairs...There's no clarity in laws. It's creating lot of litigation&loss to govt as well as inconvenience to public..." pic.twitter.com/8Ca80rt8wC
— ANI (@ANI) August 15, 2021
चीफ जस्टिस बोले - पहले होती थीं ज्ञानवर्धक बहस
चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले विभिन्न कानूनों पर चर्चा होती थी, जिससे उनके बारे में जानकारी मिलती थी. इस वजह से कोर्ट के लिए भी कानूनों को लागू करवाना या समझना आसान हो जाता था. चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि आजादी के बाद शुरुआती सालों में संसद में मौजूद सांसदों और स्वतंत्रता सैनानी में से ज्यादातर वकील होते थे. उन्होंने कहा कि इस वजह से संसद में ज्ञानवर्धक बहस होती थीं. चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि वकील बिरादरी को अब इसके लिए आगे आना चाहिए.