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T-20 पर पाक के मंत्री को मिला जवाब, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख ने सुनाई खरी खोटी

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए क्रिकेट मुकाबले पर पाक मंत्री का बयान आया था. इससे भड़के जमीयत उलेमा-ए- हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने उन्हें जमकर खरी खोटी सुनाई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कौन होता है हिंदुस्तान के मुसलमानों के बारे में बात करने वाला.

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जमीयत उलेमा-ए- हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी
जमीयत उलेमा-ए- हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मौलाना महमूद मदनी ने पाक के मंत्री को सुनाई खरी खोटी
  • भारत-पाक T-20 पर आया था पाकिस्तान के मंत्री का बयान

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए क्रिकेट मुकाबले पर पाक मंत्री के बयान के बाद भारत से भी प्रतिक्रिया आई है. मुस्लिमों की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक जमीयत उलेमा-ए- हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने आजतक से बातचीत करते हुए पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कौन होता है हिंदुस्तान के मुसलमानों के बारे में बात करने वाला. मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि भारत के मुसलमान पाकिस्तान से ज्यादा इस्लाम पसंद है क्योंकि पाकिस्तान ने ही इस्लाम का सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है.

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दरअसल, पाक के गृह मंत्री शेख रसीद ने भारतीय मुसलमानों को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों के जज्बात भी पाकिस्तानी टीम के साथ थे.

'बंद किया जाए पाक के साथ क्रिकेट का खेल'

मदनी ने यह मांग की कि जो पाकिस्तान हमारे सैनिकों को मारता है और जिसके चलते सीमा पर हमारे सैनिक शहीद होते हैं ऐसे दुश्मन के साथ क्रिकेट मैच खेलना ही क्यों? मदनी ने यह भी मांग की कि भारत पाकिस्तान मैच को लेकर जिनके ऊपर भी देशद्रोह का मुकदमा लगाया गया है सरकार को चाहिए कि वह उन्हें वापस कर ले और बेहतर यह है कि भारत और पाकिस्तान को साथ क्रिकेट खेलने की अनुमति न दी जाए.

'बांग्लादेश में जो हुआ उसकी अनुमति नहीं दी जा सकती'
 
सिर्फ भारत-पाकिस्तान के बीच हुए मैच ही नहीं बल्कि बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हुए हमले को लेकर भी मौलाना ने बात की. मदनी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पर सीधे- सीधे सवाल उठाया और कहा कि ऐसी चीजों की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इस्लाम के मुताबिक नबी अली और हजरत उमर ने भी यह कहा था कि चाहे जंग की स्थिति क्यों ना हो इबादत करने वालों और इबादतगाहों पर किसी भी हाल में हमले नहीं होने चाहिए.
  
मदनी ने कहा, "बांग्लादेश में जो हुआ वो आपत्तिजनक बात है और हमें उस पर सख्त ऐतराज है. मुसलमान होने के बावजूद एक छोटी सी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ और उनकी इबादतगाहों के साथ ये सब किया गया.  उस जमाने में हजरत उमर और नबी अली ने भी इबादत गांवों को प्रोटेक्शन दिया था कि जंग की हालत में भी कि आपको इबादत करने वाले को और इबादतगाहों को प्रोटेक्ट करना है, पर यहां तो कोई जंग भी नहीं है." 

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'नहीं बर्दाश्त करेंगे गुस्ताखी'

हाल ही में त्रिपुरा में हुई हिंसा को लेकर भी महमूद मदनी ने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि ऐसे जुलूस निकालकर पैगंबर के खिलाफ गालियां देने की अनुमति क्यों दी गई. आजतक से महमूद मदनी बोले," त्रिपुरा पर भी बहुत साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि हमारे पैगंबर की शान में गुस्ताखी करना हम लोगों के लिए नागंवार है. यहां तो एक जुट होकर के जुलूस निकालकर और उनको गालियां दी गई उनकी शान में गुस्ताखी की गई. कहने वाले कह रहे हैं कि विश्व हिंदू परिषद ने किया क्योंकि वीएचपी का ही जुलूस था. और सरकार की जिम्मेदारी थी कि ऐसे जुलूस को निकलने से रोके और किसी वजह से जुलूस निकल गया तो उनके खिलाफ कार्यवाही करें लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई." 

मदनी ने कहा कि अगर बांग्लादेश में हुई किसी क्रिया से त्रिपुरा में प्रतिक्रिया होगी तो उस प्रतिक्रिया की भी एक प्रतिक्रिया होगी जिससे हम लोग लग जाएंगे और एक्शन रिएक्शन में फंस कर रह जाएंगे. मदनी ने कहा कि यह हमारा मुल्क है हम सब के साथ यहां रहते आए हैं हजारों सालों से. यहां कोई इंसीडेंट होगा तो कानून व्यवस्था और मुजरिमों को सजा देना यह तो सरकार का काम है.

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