दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार और LG के बीच अदावत का इतिहास पुराना है. बल्कि जिस तरीके से खींचतान चलती है, उस हिसाब से ये रोज़ाना है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आज चीफ़ सेक्रेटरी को आम आदमी पार्टी से 15 दिन के भीतर 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया. आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने सरकारी विज्ञापनों के नाम पर पॉलिटिकल एड छपवाए. वैसे भी इस पार्टी के आलोचकों की एक बड़ी शिकायत रही है कि ये पार्टी विज्ञापनों पर ख़ूब पैसे खर्च करती है. विपक्षियों ने तंज़ कसते हुए इसे Arvind Advertisement Party तक बता दिया है.
विज्ञापनों की बात हो ही रही है तो अपने जिस मोहल्ला क्लीनिक का प्रचार करते हुए AAP अघाती नहीं है, उनके भी दिन बुरे चल रहे हैं. दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक्स को लेकर ये ख़बर सामने आई है कि डॉक्टरों को तीन महीने से तनख़्वाह नहीं मिली है. इसके अलावा वहां दवाओं की कमी है, कई तरह के टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं. इन सबके बीच दिल्ली के मंडावली जेल में बंद सुकेश चंद्रशेखर ने भी आज एक बम फोड़ दिया और कहा कि उसने आम आदमी पार्टी को 60 करोड़ दिए हैं. तो सुकेश के इस दावे पर पार्टी ने क्या कहा? LG साहब ने 97 करोड़ रुपये वसूलने को क्यों कहा है और आम आदमी पार्टी का नेक्स्ट कोर्स ऑफ़ एक्शन क्या रहने वाला है? इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिक के ऑपरेशन में आ रही रुकावटों पर सरकार का क्या पक्ष है, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.
पूरी दुनिया के लिए कोरोना लगभग ख़त्म हो चुका है. लेकिन चीन में कोरोना का संक्रमण बेकाबू होने लगा है. वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है और अब इससे मौतें भी होने लगीं हैं. 3 दिसंबर के बाद पहली बार कोरोना से एक शख़्स की मौत हुई, हालॉंकि आधिकारिक आंकड़ों को संदेह भरी नज़रों से देखा जा रहा है. क्योंकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरें कुछ और कहानी बयां करती हैं.
वहां से आ रहे वीडियोज़ में दिख रहा है कि अस्पतालों के बाहर लंबी लाइन लगी हैं, मरीजों के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं और बड़े स्तर पर स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती दिख रही है. अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन के ऑनलाइन सर्च इंजन बाइदू पर 'श्मशान' से जुड़े कीवर्ड्स जमकर सर्च किये जा रहे हैं. इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि लोगों में कितना भय फैला हुआ है.
इसको और हवा दी Eric Feigl-Ding (एरिक फेइल डिंग) नाम के एक अमेरिकी एपिडेमियोलॉजिस्ट ने जिन्होंने दावा किया है कि अगले 90 दिनों में चीन की 60 फीसदी और दुनिया की 10 फीसदी आबादी कोविड की चपेट में होगी और कई लाख मौतें हो सकती हैं. चीन के महामारी विशेषज्ञ वू जुन्यो ने तीन लहरें आने की आशंका जताई है. उन्होंने दावा किया कि चीन अभी पहली लहर का सामना कर रहा है और इसका पीक मिड-जनवरी में आ सकता है.
आपको पता ही होगा कि तीन साल तक चीन में कोविड संक्रमण को रोकने के लिए सख्त नीतियों को लागू किया गया. इसे ज़ीरो कोविड पॉलिसी कहा गया, जिसमें लॉकडाउन, असिम्पटोमैटिक मरीजों को भी क्वारंटीन में रखने, सघन कोरोना टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के सख्त कदमों पर अमल किया गया. इस महीने के आरंभ में चीन के कई शहरों में इन उपायों के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किए. उसके बाद जीरो-कोविड नाम से चर्चित इस नीति को बदल दिया गया. लेकिन अभी जो एक्सपर्ट्स चेता दे रहे हैं कि यहां तीन लहरें आएंगी और 90 दिनों में 60 फीसदी आबादी संक्रमित हो जाएगी, क्या इन सब से कितना चिंतित होने की ज़रूरत है? जिस कोविड पॉलिसी को लेकर चीन मुतमईन था कि इससे कोरोना को कंट्रोल कर लिया है, वही पॉलिसी कैसे उसकी कमजोरी बनती जा रही है? इसके अलावा वैक्सिनेशन को लेकर जो कहा जा रहा था कि इससे स्थिति कंट्रोल में आ जाएगी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों की संख्या घटेगी, लेकिन मामला बिगड़ता क्यों जा रहा है, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.
दिल्ली में अकसर भूकंप के झटके लगते रहते हैं. अभी पिछले महीने एक हफ्ते में ही दो बार दिल्ली- भूकंप आया. इसके पीछे तर्क ये दिया जाता है, दिल्ली-एनसीआर के नीचे की टेक्टॉनिक प्लेट्स हिमालय से क्लोज़ है तो वहां भूकंप के झटके का असर दिल्ली-एनसीआर में भी दिखता है. दावा तो ये भी है कि गुरुग्राम दिल्ली एनसीआर का सबसे रिस्की एरिया है क्योंकि ये सेवन फॉल्ट लाइन के अंदर आता है. अख़बारों में लंबे-लेब लेख छपे हैं कि दिल्ली में बड़े भूकंप सहने की क्षमता नहीं है.
लेकिन इन सारे दावे को काटती एक रिसर्च आई है National Geophysical Research Institute की, जिसने दावा किया है कि दिल्ली एनसीआर में छोटे-छोटे भूकंप भले आते रहें लेकिन कोई बड़ा भूकंप नहीं आने वाला. इसके अलावा रिसर्च में ये भी कहा गया कि दिल्ली में मानसून से पहले ज़्यादा भूकंप आते हैं और दिल्ली को सिस्मिक ज़ोन फोर में रखने पर भी सवाल उठाए हैं.
सितंबर 2017 से अब तक दिल्ली-एनसीआर में 32 बार भूकंप आ चुके हैं जिसका मैग्नीट्यूड 3 या उससे ज्यादा रहा है. 2001 में जब गुजरात के भुज में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था तो उसका असर दिल्ली एनसीआर पर भी पड़ा था. तो इन सब को देखते हुए सवाल ये है कि किस बेसिस पर National Geophysical Research Institute ने ये दावा किया है कि दिल्ली एनसीआर में बड़े भूकंप नहीं आ सकते, तर्क क्या है इसके पीछे और कितना दुरुस्त है? मानसून से पहले दिल्ली एनसीआर में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं? साथ ही National Geophysical Research Institute के साइंटिस्ट ने दिल्ली को सिस्मिक जोन 4 में रखने पर भी सवाल उठाए हैं, इसके पीछे उनकी क्या दलील है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.
2009 का साल था, जब जेम्स कैमरन की फिल्म 'एवेटा' ने दुनियाभर के सिनेमा प्रेमियों को अपना मुरीद बना दिया था. कमाई के सारे कीर्तिमान तोड़ते हुए इस फिल्म ने, 2 लाख करोड़ रुपए कमाए और अपने समय की, सबसे अधिक व्यापार करने वाली फिल्म बनी. इस फिल्म ने सही मायनो में, सिनेमा और सिनेमा को देखने का नजरिया ही बदल दिया था.
आज 13 साल बाद, 2022 में फिर से कुछ ऐसी ही स्थिति है. जेम्स कैमरन ने एक बार फिर 'एवेटा' फ्रैंचाइज़ी से वापसी की है और उनकी नयी फिल्म का नाम है 'एवेटा-वे ऑफ़ वाटर'. 16 दिसंबर को रिलीज़ हुई इस फिल्म ने, केवल 3 ही दिनों में 3600 करोड़ रुपए कमा लिए हैं. सोशल मीडिया पर सिर्फ इस फिल्म के ही चर्चे हो रहे हैं. वजह है इसकी इन्टरेस्टिंग स्टोरीलाइन और इस फिल्म की लागत, क्योंकि इस फिल्म के निर्माण में क़रीब 2000 करोड़ खर्च हुए हैं. तो क्या विशेषता है इस फिल्म की और इसमें ऐसे क्या सलमा सितारे जोड़े कि फिल्म की बजट इतनी बढ़ गई, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.