चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अचानक अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचकर सबको चौंका दिया. काबुल पहुंचने के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अफगानिस्तान के तालिबान के शासकों से मुलाकात की. चीनी विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान में तालिबानी शासकों से मुलाकात ऐसे समय में की है जब उन्होंने खुद अफगानिस्तान में छठी कक्षा तक के स्कूल को न खोलने पर नाराजगी जाहिर की थी.
बख्तर समाचार एजेंसी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्री वांग यी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तालिबान के नेताओं से मुलाकात की. इस दौरान राजनीतिक संबंध, आर्थिक मामले और आपसी सहयोग के मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा है अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के साथ चले 20 साल के युद्ध की समाप्ति के बाद पिछले साल अगस्त में तालिबन ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ली. इसके बाद से तालिबान की कोशिश अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने की है ताकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सके, जो उसके आगमन के बाद से ही लगातार गिर रही है.
क्या तालिबान से दोस्ती करेगा ड्रैगन?
चीन भले ही तालिबान को मान्यता देने से इनकार करता रहा है, लेकिन वह उससे लगातार संपर्क में है. चीन के विदेश मंत्री के काबुल दौरे के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि ड्रैगन जल्द ही तालिबान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा सकता है. हालांकि चीन ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने का कोई संकेत नहीं दिया है.
तालिबान से दोस्ती करने से चीन को होगा फायदा
चीन के अफगानिस्तान में खनन और आर्थिक हित हैं. तालिबान और चीनी अधिकारियों के बीच बातचीत से अवगत अफगान सूत्रों के मुताबिक चीन तालिबान शासकों से यह आश्वासन चाहता है कि वह चीन के उइघर विद्रोहियों को अपने यहां से अभियान चलाने की अनुमति नहीं देंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उइघर के ‘पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन’ के सदस्य, जो उत्तर पश्चिम चीन में स्वतंत्र देश की मांग कर रहे हैं, अफगानिस्तान में मौजूद हैं. इसके अलावा उइघर विद्रोही खोराजान प्रांत में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध संगठन के संपर्क में हैं.
बता दें कि चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में अल्पसंख्यक मुस्लिम उइघर के खिलाफ बीजिंग की कठोर कार्रवाई को लेकर लगातार खबरों के बावजूद इस हफ्ते पड़ोसी देश पाकिस्तान में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक में वांग का विशेष अतिथि के रूप में स्वागत किया गया.
इस बैठक में वांग ने यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए वार्ता की अपील की. लेकिन पाकिस्तान समेत आईआईसी के किसी भी सदस्य देश ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन की उन कठोर कार्रवाइयों को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई, जिनमें मस्जिदों का गिराया जाना और धार्मिक कार्यों में शामिल उइघर मुस्लिमों को जेल भेजना आदि शामिल है.