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भारत और चीन 5 साल बाद एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़े हैं. भारत और चीन ने जिस समझौते की घोषणा की है अगर चीन पूरी ईमानदारी और पवित्रता के साथ इस पर अमल करता है तो एशिया के टाइगर और ड्रैगन इतिहास रचने में कामयाब होंगे. इस समझौते पर अमल का मतलब होगा चीन से लगी सरहद यानी कि LAC (Line of actual control) पर भारतीय सैनिक 2020 से पहले जहां तक गश्त लगाते थे, एक बार वे फिर से उस प्वाइंट तक जाकर गश्त लगा पाएंगे. यानी कि भारत और चीन के बीच LAC पर गलवान की घटना से पहले की स्थिति बहाल हो जाएगी. आज BRICS समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मीटिंग है.
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर स्पष्ट स्थिति नहीं है. और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी या वास्तविक नियंत्रण रेखा) को ही सीमा माना जाता है. लेकिन इस LAC को लेकर भी भारत और चीन के अपने अपने दावे हैं. इस कारण से भी भारत और चीन के सैनिक कई बार LAC पर टकराव की मुद्रा में आ जाते हैं.
भारत और चीन के बीच हुए इस ताजा समझौते में डेपसांग और डेमचौक में पेट्रोलिंग का मुद्दा शामिल है. इस समझौते के बाद डेपसांग और डेमचौक से भारत और चीन की सेनाओं का डिस्एंगेजमेंट होगा यानी कि दोनों देश की सेनाएं इस इलाके से पीछे हट जाएंगी.
अगर LAC पर भारत और चीन गलवान से पहले यानी कि अप्रैल 2020 की स्थिति में आ जाते हैं तो ये भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक और सैन्य जीत होगी. गौरतलब है कि अगस्त 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान में टकराव हुआ था. लेकिन इस समझौते का फिजिकल लेवल पर क्या असर होगा? यानी कि समझौता हो जाने से डेपसांग और डेमचौक में भारतीय सेनाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा. ये जानना जरूरी है.
इिस्एगेंटमेंट का मतलब क्या?
आजतक संवाददाता गौरव सांवत ने इसे विस्तार से समझाया है. इस समझौते के कार्यान्वयन हो जाने से भारत की सेनाएं डेपसांग में पेट्रोल प्वाइंट 10,11, 11A, 12, 12A और पेट्रोल प्वाइंट 13 तक जा सकेंगी. बता दें कि डेपसांग में राकीनाला का इलाका, वाई जंक्शन का इलाका, बॉटल नेक का इलाका ऐसे क्षेत्र थे जहां मई 2020 के बाद जब भारत की सेना अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट तक जाती थी तो वहां चीन की सेना आकर बैठी थी और भारत को पेट्रोलिंग नहीं करने देती थी.
भारत ने भी ठीक ऐसा ही किया था और चीनी सैनिकों को क्लेम लाइन (Claim line) तक नहीं पहुंचने देती थी. क्लेम लाइन वो एरिया है जिस सीमा तक दोनों देश अपनी सीमा होने का दावा करते हैं. इस तरह से दोनों सेनाएं एक दूसरे का रास्ता रोक रही थी. अब ये निर्णय हुआ है कि दोनों सेनाएं एक दूसरे का मार्ग नहीं रोकेगीं और दोनों ही सेनाएं अपने पेट्रोल प्वाइंट और क्लेम लाइन तक जाएंगी. ये फैक्ट डेपसांग से जुड़े हैं.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी अध्ययन केंद्र में एसोसिएट प्रोफ़ेसर अरविंद येलेरी ने बीबीसी के साथ बातचीत में कहा कि "पहले हम डेपसांग में पट्रोलिंग प्वाइंट 10 तक जा सकते थे. अब समझौता लागू होने के बाद उम्मीद है कि हम पीपी 13 तक पट्रोलिंग कर पाएंगे."
अगर डेमचोक की बात करें तो यहां भी पूर्वी लद्दाख के दक्षिणी छोर में दोनों सेनाएं अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट तक जा सकेंगी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को यही बात कही थी. उन्होंने कहा था कि इस समझौते के लागू हो जाने के बाद चीन से लगी सरहद पर भारतीय सैनिक 2020 से पहले जहां तक गश्त लगाते थे, एक बार फिर से वहा तक जा सकेंगे.
इससे पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने चीन के साथ हुए इस समझौते की जानकारी देते हुए कहा कि इससे 2020 में इन क्षेत्रों में पैदा हुए मुद्दों का समाधान हो रहा है. समझौते के तहत डेपसांग और डेमचोक में दोनों देशों की सेनाएं अपनी पुरानी जगह पर आ जाएंगी.
बता दें कि डेपसांग और डेमचोक ही थे जहां पेट्रोलिंग को लेकर विवाद था.
गलवान, पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में जिसे पेट्रोलिंग पॉइंट 14,15, 17 अल्फा कहा जाता है यहां पर पहले ही दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट चुकी थीं. इन जगहों पर नॉन मिलिट्री 'बफर जोन' बना दिए गए हैं.
चीन का कहना था कि डेपसांग और डेमचोक की समस्याएं काफी पहले से चली आ रही थीं. इस पर अभी विवाद नहीं करना चाहिए. लेकिन भारत सरकार अपने स्टैंड पर अडिग रही और कहा कि आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते सुधारने हैं तो डेपसांग और डेमचोक में भी अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति को लागू करना होगा. इस पर कई महीनों तक अनिर्णय की स्थिति बनी रही. भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता हुई फिर दोनों देश इस निर्णय पर पहुंचने पर सहमत हुए.
गौरतलब है कि डेपसांग और डेमचोक में 2020 की यथास्थिति लाने में भारत ने अपने स्टैंड में को बदलाव नहीं किया है. दरअसल चीन शक्ति का सम्मान करता है. पिछले साढ़े 4 सालों में भारत ने चीन को विवादित क्षेत्रों में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ने दिया. इसके बाद चीन भारत के साथ समझौते की टेबल पर आया.
इिस्एगेंटमेंट हुआ, डिस्क्लेशन और डीइंडक्शन बाकी
गौरतलब है कि भारत चीन के बीच अभी इिस्एगेंटमेंट हुआ है. डिस्क्लेशन और डीइंडक्शन बाकी है. बता दें कि इिस्एगेंटमेंट का मतलब होता है किसी मोर्चे पर आमने-सामने खड़ी सेनाओं का पीछे हटना और डिस्क्लेशन का मतलब दो देशो के बीच तनाव की स्थिति को कम करने के लिए उठाने जाने वाले कदमों से है. जबकि डीइंडक्शन का अर्थ होगा कि लद्दाख में जो दोनों देशों 50 हजार से ज्यादा सेनाएं तैनात हैं वो उसी पोजिशन पर चली जाएं जहां वे शांतिकाल के दौरान थीं.