गलवान के बाद लद्दाख में एक बार फिर चीन ने हरकत की है. चीनी सैनिकों ने सीमा पर यथास्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की है. जिसके चलते पैंगॉन्ग झील इलाके में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच 29-30 अगस्त की रात झड़प हुई है.
चीनी सेना की इस घुसपैठ के बाद हालात काफी नाजुक बताए जा रहे हैं. चर्चा लिमिटेड वॉर की भी होने लगी है. विशेषज्ञों का कहना है कि 1962 की जंग भी अक्टूबर-नवंबर के महीने में हुई थी. इसी तरह के हालात आने वाले वक्त में भी पैदा हो सकते हैं. क्योंकि लंबी बातचीत के बाद भी हालात नहीं सुधर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि लिमिटेड वॉर के हालात बनने की आशंका है. लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) संजय कुलकर्णी ने कहा है कि अब हालात चिंताजनक हो गए हैं. अब ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा.
बताया जा रहा है कि चीन ने मानसरोवर झील के इलाके में मिसाइल लगी दी हैं. लद्दाख में भी उसने अतिरिक्त मिसाइल की तैनाती कर दी है. भारत की तरफ से भी पूरी तैयारी है. मिराज और मिग दूसरे भारतीय लड़ाकू विमान भी एयर पेट्रोलिंग कर रही है.
लिमिटेड वॉर की ये चर्चा इसलिए भी ज्यादा जोर पकड़ रही है क्योंकि हाल ही में चीफ ऑफ डिफेंस बिपिन रावत ने कहा था कि अगर चीन के साथ सैन्य और राजनयिक बातचीत के सही नतीजे नहीं आते हैं तो भारत के पास मिलिट्री विकल्प भी है. बिपिन रावत ने कहा था, ''लद्दाख में चीनी सेना से निपटने के लिए मिलिट्री विकल्प भी ऑन हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब सैन्य और राजनयिक बातचीत फेल हो जाएगी.''
सूत्रों के मुताबिक, जानकारी ये भी मिल रही है कि भारतीय सेना ने झील के आसपास के गांव वालों को हटा लिया गया है. साथ ही टैंक तैनात कर दिए गए हैं. सिर्फ यही नहीं, भारत नौसेना के विमान दक्षिण सागर में भी मोर्चा संभाले हुए हैं. यानी हर तरफ भारत की तैयारी है.
दरअसल, 5 मई से लद्दाख में सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच तनातनी चल रही है. इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में चीन ने भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प की थी, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे. उसके बाद से लगातार चीन से कई स्तर की बातचीत हो चुकी है लेकिन चीन लगातार एलएसी पर बना हुआ है और पीछे हटने को राजी नहीं है.