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चीन का नया गेम? तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में गुलाग की जगह बनाया स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स

ऐसा लगता है कि चीनी अधिकारियों ने कंस्ट्रेशन कैम्प और इसके कैदियों को कहीं और शिफ्ट कर यहां उसकी इमारत को पूरी तरह जमींदोज कर दिया.

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चीन ने स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का किया निर्माण
चीन ने स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का किया निर्माण
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन ने पिछले साल ध्वस्त किया था गुलाग
  • उसी जगह बनाया गया स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
  • 2011 में बना था चामडो कंस्ट्रेशन कैम्प

तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के चामडो शहर में चीन ने पिछले साल जो गुलाग ध्वस्त किया था, उसकी राख पर अब एक आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स खड़ा नजर आता है. चामडो कंस्ट्रेशन कैम्प का निर्माण 2011 में हुआ था. इस डिटेंशन सेंटर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में तूल पकड़ने के बाद पिछले साल के आखिर में इसे ध्वस्त कर दिया गया. 

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सितंबर की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिलता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने कैम्प का नामोनिशान तक मिटा दिया है. अब उसी जगह आस पास लैंड-स्केपिंग के साथ नया स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स देखा जा सकता है.  

सीसीपी हमेशा गोपनीयता बरतती रही है. खासकर जब कब्जाए हुए तिब्बत और पूर्वी तुर्केस्तान में गुलाग या बंधुआ मजदूर कैम्पों की बात उठती है. सीसीपी की ओर से पूर्वी तुर्केस्तान (अब शिनजियांग) में कम से कम 380 कंस्ट्रेशन कैम्प चलाए जाते हैं. इन्हें चीन ने "री-एजुकेशन" कैम्प्स का नाम दे रखा है. कब्जा किए तिब्बत में चीन ऐसे 10 शिविर चला रहा है. हालांकि, चामडो में तिब्बतियों के उत्पीड़न की बहुत आलोचना हुई है. लेकिन सीसीपी की ओर से ऐसा किए जाना लगातार जारी है.

चामडो गुलाग गिराया गया, कैदी कहीं और शिफ्ट 

इस लेखक की ओर से फरवरी 2019 में पहचाना गया चामडो गुलाग चामडो शहर के दक्षिण में एक सुदूर पहाड़ी के दर्रे में स्थित था. तिब्बत में सीसीपी सचिव के तौर पर चेन कुआनगुओ के कमान संभालने के बाद चामडो कंस्ट्रेशन कैम्प का निर्माण 2011 में हुआ था. इस गुलग की पहचान होने और यहां कैदियों पर अत्याचार को लेकर चीन की अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में जमकर आलोचना हुई. चीनी सरकार ने पहली बार विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों से चीन के इस बर्ताव के खिलाफ उठने वाली आवाजों का संज्ञान लिया. 

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ऐसा लगता है कि चीनी अधिकारियों ने कंस्ट्रेशन कैम्प और इसके कैदियों को कहीं और शिफ्ट कर यहां उसकी इमारत को पूरी तरह जमींदोज कर दिया. इस डिटेंशन सेंटर को ध्वस्त करने का काम अक्टूबर 2019 में शुरू हुआ और कुछ ही दिन में पूरा कर लिया गया. 

ताजा सैटेलाइट तस्वीरें उस क्षेत्र में एक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बना हुआ दिखाती हैं. डिटेंशन सेंटर के मलबे को पास में बनाए गए वेस्ट डंप में डाल दिया गया. इस मलबे का इस्तेमाल अब स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स को आकर्षक रूप देने के लिए किया जा रहा है.

यह ज्ञात नहीं है कि डिटेंशन कैम्प के कैदियों को कहां शिफ्ट किया गया. लेकिन यह अंदाजा लगाया जाता है कि कैदियों को नागचू और द्रथांग सहित आसपास के कुछ बंधुआ मजदूर शिविरों में शिफ्ट किया गया हो सकता है. इस आकलन को जमीनी सूत्रों से मिली जानकारी का भी समर्थन है, जिनके मुताबिक नागचू और चामडो के बीच द्रिरू काउंटी में नए बंधुआ मजदूर शिविर बनाए जाने के संकेत हैं.  

तिब्बती बस्तियों को बाहर खदेड़ा 

चामडो शहर अन्य क्षेत्रों से दूर और अभेद्य पहाड़ों में स्थित है. यह क्षेत्र चीनी अत्याचारों का सबसे अधिक शिकार रहा है. चीन ने दुनिया की नजरों से छिपे हुए शहर की सैन्य क्षमता को महसूस करते हुए यहां एक राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का फैसला किया, जिसका इस्तेमाल चीनी सेना के मूवमेंट के लिए वैकल्पिक रास्ते के तौर पर काम आ सके.  

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एक बार जब चीन का राष्ट्रीय राजमार्ग 214 (G214) हकीकत बन गया तो कभी सोया हुआ शहर माने जाने वाला चामडो भी गतिविधियों से गुलजार हो गया. इस शहर पर अब लगभग हान चीनी सेटलर्स का वर्चस्व हो चुका है जिन्हें सीसीपी ने पूर्वी चीन के क्षेत्रों से लाकर यहां बसाया. 

शहर का मध्यवर्ती इलाका जहां पहले तिब्बती ही रहते थे, अब उसका आधुनिकीकरण कर दिया गया बताया जाता है. जम्पलिंग मठ के आसपास का पूरा क्षेत्र जो कि एक बड़े पैमाने पर तिब्बती बस्ती था, अब पूरी तरह से जमीन में समा गया है और यहां नए बहुमंजिले भवन खड़े देखे जा सकते हैं. तिब्बतियों को अब पहाड़ों की चोटियों पर ‘फिर से बसाया जा रहा है जहां तक पहुंच आसान नहीं है.  

जम्पलिंग मठ 

सीसीपी प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मुख्य जम्पलिंग मठ, जहां 12 सूत्र स्कूल, कई डिबेट और असेंबली हॉल थे, उन्हें चीनी शैली में तब्दील कर दिया गया है. चीन सरकार की ओर से बनाए जा रहे तथाकथित थियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में चीनी भाषा में जम्पलिंग मठ का पूरा इतिहास फिर से लिखा जा रहा है. 

मठ के मुख्य मंदिर और अभिभावक हॉल के शिखरों की वास्तुकला को चीनी ताओवादी शैली की छतों में बदल दिया गया है. मठ के आसपास की इमारतों को भिक्षुओं के लिए बैरक किस्म के आवास में बदल दिया गया है. पूरे मठ को ठोस बाड़ के साथ घेरा गया है जिससे यहां सीसीपी का पूरा नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके.

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नई छावनियां 

शहर की सीमा में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस (पीएपी) की कई छावनी हैं. शहर के उत्तर और पश्चिम में कम से कम दो नई पीएलए छावनियों का निर्माण किया जा रहा है. 

आज चामडो का पूरा शहर एक बड़े कैन्टोनमेंट क्षेत्र में बदल दिया गया है. अधिकतर स्थानीय तिब्बतियों को अब पहाड़ के शिखर पर रहना पड़ रहा है. इस शहर में जितनी जगह उपलब्ध है, एक पूरे डिवीजन आकार की फोर्स को यहां रखा जा सकता है. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिलता है कि संभवतः इस शहर से गुजरते हुए एक नए हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है.

(कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) इंडिया टुडे के लिए एक सलाहकार हैं. वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं, उन्होंने 33 वर्षों तक भारतीय सेना में सर्विस की) 

 

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