लद्दाख सीमा पर चीन की ओर से पिछले चार महीनों से घुसपैठ की कोशिश की जा रही है. चीन सीमा से पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा है और युद्ध के लिए उकसाने में लगा है. इस तनाव के बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जहां चीन कुछ कंपनियों के द्वारा भारतीयों पर नजर रख रहा है. इनमें प्रधानमंत्री से लेकर कई बड़े मंत्री और अफसरों तक का डिजिटल डाटा कलेक्ट किया जा रहा है. चीनी कंपनी ये डाटा कलेक्ट कर अपनी सरकार को सौंपती है, जो भारत के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन की झेनझुआ डाटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी करीब दस हजार भारतीयों का डाटा इकट्ठा कर रहा है. इसमें सोशल मीडिया पर हरकत से लेकर लाइक और कमेंट तक, उनकी होने वाली उपस्थिति तक शामिल है. चीनी कंपनी की नजर देश के प्रधानमंत्री से लेकर बड़े बिजनेसमैन, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, नेता, सांसद खिलाड़ी पर टिकी है.
क्या डाटा कलेक्ट कर रही है चीनी कंपनी?
चाइनीज़ इंटेलीजेंस के लिए काम करने का दावा करने वाली ये कंपनी दूसरे देशों के लोगों पर नजर रखती है. इसमें राजनीति, सरकार, टेक्नोलॉजी, मीडिया, फिल्म समेत कई अन्य क्षेत्रों के लोगों और संस्थानों की निगरानी की जाती है. इसके तहत झेनझुआ कंपनी किसी भी व्यक्ति का डिजिटल फुटप्रिंट फॉलो करती है. इसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के डाटा, इन्फॉर्मेशन लाइब्रेरी को तैयार किया जाता है.
इन डेटा में सिर्फ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध चीजें नहीं बल्कि सभी कागजात, कौन कहां शामिल हो रहा है, कौन किसे हायर कर रहा है ऐसी बातें भी नोटिस की जाती हैं. यानी इस कंपनी का काम किसी भी व्यक्ति का पूरा डाटाबेस तैयार कर चीनी सरकार और उनकी एजेंसियों को सौंपना है.
क्या है चीन का हाइब्रिड वॉरफेयर?
इस खुलासे से ये साफ हो गया है कि चीन सिर्फ सीमा पर नहीं बल्कि साइबर की दुनिया में भी एक जंग लड़ रहा है. इसे ही हाइब्रिड वारफेयर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जो कि चीनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के द्वारा तैयार की गई नीति है. इस नई दुनिया में चीन ने अपना फोकस मिलिट्री से हटाकर आम आदमी को साधने पर शुरू कर दिया है, जिसके तहत दूसरे देश के लोगों पर अपनी पकड़ बनाई जा रही है.
चीन की ओर से ऐसी नीति का इस्तेमाल सिर्फ भारत नहीं बल्कि अमेरिका समेत अन्य देशों में भी किया जा रहा है. भारत ने हाल ही में कई चीनी ऐप को बैन किया है, लेकिन ये संकट उससे कई बड़ा और अलग है. जो दूसरे देश के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक ढांचे में घुसकर उसको प्रभावित करता है और अपने लिए इस्तेमाल करता है.