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Rajasthan Weather: रेगिस्तान में सर्दी का सितम, चूरू में माइनस 2.5 डिग्री पहुंचा पारा, शीतलहर का अलर्ट

Mausam Updates: चूरू में आज (रविवार), 15 जनवरी 2023 को न्यूनतम पारा माइनस 2.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. इससे पहले शनिवार को न्यूनतम तापमान माइनस 3.5 डिग्री और अधिकतम तापमान 16.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. मौसम विज्ञान केन्द्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ के चलते हिमालय के क्षेत्र में दबाव में बढ़ोतरी हुई है.

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Rajasthan cold wave alert
Rajasthan cold wave alert

देश के कई राज्य इस वक्त भीषण ठंड का सामना कर रहे हैं. राजस्थान में भी तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. देश के सबसे गर्म शहरों में शुमार शेखावाटी, चूरू, फतेहपुर में भी रिकार्ड तोड़ ठंड पड़ रही है. ये इलाके बर्फिस्तान बन गए हैं. तापमान माइनस में दर्ज किया जा रहा है. यहां पेड़-पौधों से लेकर फसलों तक पर बर्फ ही बर्फ नजर आ रही है.

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माइनस डिग्री पहुंचा तापमान

बीती रात फतेहपुर शेखावटी में रात न्यूनतम पारा माइनस 4.7  मे दर्ज किया गया. जो शनिवार को माइनस 3.5 रिकॉर्ड किया गया था. वहीं, चूरू में न्यूनतम तापमान -2.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. मौसम विज्ञान केन्द्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा के मुताबिक एक पश्चिमी विक्षोभ के चलते हिमालय के क्षेत्र में दबाव में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही दिन भर चली उत्तरी हवा ने प्रभावित किया है.

जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी चलते ऐसी स्थिति

जम्मू कश्मीर और श्रीनगर में भारी बर्फबारी हुई है. इसका प्रभाव राजस्थान में भी दिखाई दे रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक, शीतलहर का प्रकोप 18 जनवरी तक जारी रहेगा. अगले 48 घंटों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट हो सकती है.

बर्फिस्तान बना राजस्थान का रेगिस्तान

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राजस्थान के रेगिस्तानों के मैदानों में भी घास के ऊपर बर्फ की चादर नजर आ रही है. खुले में खड़े वाहनों की छत और विंडशील्ड पर भी बर्फ की चादर देखी जा रही है. सर्दी से बचने के लिए क्षेत्र के लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं. पाले की आशंका से किसानों को भी फसल खराब होने की चिंता सता रही है. फतेहपुर के चुवास सहित अन्य इलाकों में कड़ाके की सर्दी के चलते टमाटर, मिर्ची, बैगन आदि की फसल काली पड़ कर सूख गई है.

फसलों पर भी बुरा प्रभाव

इस ठंड का खेती किसानी पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. फलदार पेड़ों की उत्पादन क्षमता पर विपरीत असर पड़ रहा है. पत्तियां झुलसने लगी हैं. पत्ते, टहनियां और तने के नष्ट होने से पौधों में अधिक बीमारियां लगने का खतरा बढ़ गया है. सब्जियों, पपीता, आम और अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक पड़ता है. टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की ज्यादा आशंका है.

(फतेहपुर शेखावटी से राकेश गुर्जर का इनपुट)

 

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